परमेश्वर व्रतपति हैं
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हे प्रभो! तुम्हीं हमारे माता-पिता हो
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विश्व साहित्य की अनमोल निधि वेद
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विश्व साहित्य की अनमोल निधि वेद (2)
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विश्व साहित्य की अनमोल निधि वेद (3)
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संस्कृति और सभ्यता
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हमें तेजस्वी बनाओ
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हम कल्याण के मार्ग पर चलें
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हम मृत्यु के बन्धन से छूटें
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हम दीर्घायु प्राप्त करें
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