यक़ीनन किसी भी व्यक्ति को अपनी आलोचना, तनाव, निराशा, और दुःख को जन्म देती है। लेकिन यदि हम आलोचनाओं से निपटने की रणनीति सीख लें तो हम आलोचना को एक अवसर में बदल सकते हैं। आलोचना का मतलब है किसी के द्वारा बिना किसी वाजिब कारण के कोई दोषारोपण करते हुए अप्रिय टिप्पणी करना। अकसर हम आलोचना को व्यक्तिगत हमला मान लेते हैं। ऐसे में या तो हम उसके प्रतिरोध के बारे में सोचते है या उसे पूरी तरह खारिच कर देते हैं, इस तथ्य को स्वीकारें कि आलोचना हमेशा होती रहेगी। यह हमारी जिन्दगी का एक हिस्सा है। आप इससे पलायन नहीं कर सकते, पर आप नकारात्मक आलोचनाओं से किसी भी हानि से बचने का रास्ता जरूर निकाल सकते हैं।
क्या आप जानते हैं कि आलोचना हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है? दरअसल, यह इस बात पर निर्भर है कि हम आलोचना को किस रूप में लेते हैं। आलोचना हमें संबंधों, अध्ययन और नौकरी में प्रदर्शन के बारे में समझ बनाने में मदद करती है। इससे हम अपने जीवन में सुधार कर सकते हैं। यह ध्यान देने की बात है कि आलोचना अच्छे उद्देश्य से हो या बुरे उद्देश्य से, हमें उससे लाभ लेने का विचार करना चाहिए। कुछ लोग विनाशकारी प्रवृत्ति के होते हैं और वे आपको अपमानित करने के लिए आपकी आलोचना कर सकते हैं। 'आप मुर्ख हैं' या 'आप बदसूरत हैं' जैसी टिप्पणी कर सकते हैं। ऐसी आलोचना करने वाले आमतौर पर असुरक्षित होते हैं और उनमे आत्मसम्मान कम होता है। ऐसी आलोचना करने वालों का अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं होता। वे स्वयं में खुश रहने के लिए दूसरों को काबू करने के लिए अपमानित करें की कोशिश करते हैं।
आप ऐसे सकीर्ण मनोवृति के लोगों की बातों पर ध्यान न दें। जब कोई आपकी आलोचना करे तो अपनी भावनाओं पर सयंम रखें। प्रतिक्रिया देने से बचें। यदि लगे कि आप प्रतिक्रिया करना चाहते हैं, तो गहरी सांस लें। फिर आलोचक को सुनते हुए यह सोचना शुरू करें कि क्या इसमें कुछ ऐसा है, जिससे आप सीख सकते हैं। वास्तव में आलोचना सुनना एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल है, जिसका अभ्यास करना हमें बेहतरी की ओर ले जाता है। आलोचना को स्वीकार करने की क्षमता आपके आत्मिक बल का मापदंड है। उदासीन बने रहें और परिस्थिति को पुर तरह से नजर अंदाज कर दें।
महान संत कबीरदास जी ने कहा है कि जो तुम्हारी आलोचना करते हैं उन्हे अपने निकट रखों, यह तुम्हारे घर, और तुम्हारे मन को स्वच्छ रखेगा - साबुन और पानी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यदि तुम्हारे आसपास सभी तुम्हारी प्रशंसा करते रहें तो तुम्हें तुम्हारी कमियाँ नहीं दिखेंगी। अगर आप एक कठोर आलोचना के बाद तुरंत प्रतिक्रिया देंगे, तो सबसे अधिक संभावना है कि आप दूसरे पक्ष के प्रति क्रोध और प्रचंडता से प्रतिक्रिया दें। बाद में यकीनन आप आने शब्दों पर पछताएँगे, क्योंकि अपने अपना आपा खो दिया है। यदि आप धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करें और कुछ गहरी साँसें लें तो आपका मस्तिष्क निर्मल हो जाएगा और आपका जवाब आपके वास्तविक स्वभाव के हिसाब से संतुलित होगा। एक नकली मुस्कराहट भी आपको एक कठोर आलोचना के बाद, ज्यादा विश्रांत बनाने में मददगार हो सकती है। मुस्कुराना हमारे शरीर में एक सकारात्मक संकुचन पैदा करता है और उस विशेष क्षण में जो आप गुस्सा महसूस कर रहे है होते हैं, उसको शांत कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में ये आपकी मनस्थिति को प्रोत्साहित करता है, जबकि उसी समय ये उस व्यक्ति को परेशान क्र देगा जो आपकी आलोचना कर रहा होगा।
कोई आलोचना हमारे द्वारा विचारणीय है या नहीं, यह तय करने के लिए अच्छे निर्णय का उपयोग करना हम पर निर्भर करता है। यह अपनी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, खुले दिमाग और अनुभव रखने से आता है। किसी के द्वारा आलोचना होने पर हम किसी विश्वसनीय मित्र या सहकर्मी के साथ परामर्श भी कर सकते हैं, सोशल मिडिया के मौजूदा युग में, यह सीखना अहम है कि आलोचना को सकारात्मक तरीके से कैसे संचालित किया जाए। यह हमेशा याद रखें कि हमें सीखने और आगे बढ़ने के लिए आलोचना की आवश्यकता है। नकारात्मक टिप्पणीयाँ आपको अपने दोष और खामियों को देखने और उनको स्वीकारने में मदद करती हैं। साथ ही साथ उनके सुधार के प्रयत्न में मदद करती है। आलोचना आपके अपने बारे में अनसुलझे प्रश्नों को खोजने में मदद करती है। निश्चित रूप से आलोचना, संभावानाओं और विचरों को जन्म देती है, जो आपने अब तक नहीं विचारे थे। आप अपनी समस्या को सुलझाने के कौशल को बढ़ा सकते हैं, विशेष रूप से तब, जब बुरी आलोचना आपकी किसी समस्या के बारे में हो, जिसको आपको सुलझाने की जरुरत हो। आलोचना आपको एक अवसर देती है अपने आपको बेहतर तरीके से समझने का और आगे बढ़ने का। निश्चित रूप से आलोचना को अवसर बनाकर ऊँची सफलताएँ भी प्राप्त की जा सकती हैं।