राम मंदिर निर्माण के लिए सर्वोच्च फैसला
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने अयोध्या विषय पर अपना अंतिम निर्णय सुनाते हुए राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के अंदर केन्द्र सरकार ट्रस्ट बनाये। सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित स्थान पर ही राम मंदिर बनाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये अन्य कुछ बिंदु ये हैं -
1. भारत के सभी हिन्दू और मुसलमान निर्विवाद रूप से राम का जन्म स्थान अयोध्या को मानते है।
2. मुस्लिम पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई जाए।
3. मुस्लिम पक्ष अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाया। हिंदुओं का बाहरी चबूतरे पर अधिकार था।
4. हिंदुओं की यह मान्यता है कि भगवान राम का जन्म गिराई गई संरचना में ही हुआ था।
5. अहाते और चबूतरे पर हिंदुओं के अधिकार का सबूत मिला है।
6. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम चबूतरे पर 1855 से पहले हिंदुओं का अधिकार था।
7. न्यायालय अब पूजा के अधिकार के लिये गोपाल सिंह विशारद के दावे पर फैसला सुना रहा है।
8. शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे को लेकर था जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया।
9. बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी।
10. मस्जिद के नीचे जो ढांचा था, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था।
11. राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है, जबकि भगवान राम न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं।
12. विवादित ढांचा इस्लामिक मूल का ढांचा नहीं था। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से यह सिद्ध हो गया है कि राम मिथक या काल्पनिक पौराणिक पात्र नहीं हैं, अपितु ऐतिहासिक पुरूष हैं।
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