भाजपा व शिवसेना को मतभेद भुलाकर फिर एकजूट होना चाहिए।
भाजपा व शिवसेना गठबंधन टूट जाने पर भी तथा राष्ट्रपति शासन लग जाने पर भी अभी कुछ नहीं बिगाड़ा है।
लोकतंत्र के हित में दोनों दलों को अहंभाव छोड़कर तथा मतभेद भूलाकर फिर से एक हो जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो हिन्दुत्व एवं राष्ट्र के लिए इन दोनों दलों का अलग होना हानिकारक है।
श्री आदित्य ठाकरे युवा है, उनके सामने लम्बा राजनैतिक जीवन है तथा उनमें भविष्य की अच्छी सम्भावनाएं हैं। भले ही विचारक लोग कुछ भी कहें, परन्तु इस सन्दर्भ में हरियाणा के श्री दुष्यंत चौटाला ने बहुत समझदारी का निर्णय लेकर उपमुख्यमंत्री के पद स्वीकार करके अपने भविष्य को उज्जवल कर लिया है।
श्री चौटाला अब अपने एजेण्डे को अच्छी तरह आगे बढ़ा सकते हैं, जो भविष्य में उनके लिए लाभदायक सिद्ध होगा।
श्री दुष्यंत चौटाला से सीख लेते हुए श्री आदित्य ठाकरे एवं शिवसेना के कर्णधारों को चाहिए कि उपमुख्यमंत्री पद को स्वीकार करते हुए भाजपा से फिर समझौते का हाथ बढ़ाकर जन-जन की आकांक्षाओं को पूरा करने का निर्णय लें। भाजपा को भी फिर से खुला दिल करके अपने पुरानी सहयोगी शिवसेना को साथ लेकर महाराष्ट्र को स्थिर सरकार देनी चाहिए। - डॉ. संजयदेव
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