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आतंकी संगठन आईएस की चपेट में भारत का युवा

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Indias youth in the Grip of Terrorist Organization IS 0

आतंक की दुनिया में आईएस कोई ज्यादा पुराना नाम नहीं, लेकिन इससे जुडऩे वालों की सूची लगातार लम्बी होती जा रही है। कभी आईटी प्रौफेशनल, कभी इंजीनियर, कभी डाक्टर तो कभी पत्रकार आईएस से जुड़ रहे हैं। अनेक देशों के 12 हजार से अधिक युवा सीरिया और इराक जा चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा अरब देशों के हैं। इनमें भी दस फीसदी पश्‍चिमी देशों के हैं। आईएस की काली छाया अब भारत पर भी पड़ चुकी है। कुछ दिन पहले यूएई से भारत डिपोट किए जाने के बाद अशफा जबीन नाम की महिला को हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया जो निकोल जोसेफ के नाम से चर्चित है। यह भारतीय महिला बर्बर आतंकी संगठन आईएस के लिए एजैंट के तौर पर काम करती रही और आईएस के लिए आनलाइन भर्ती करती थी। उसके पति की पहचान देवेन्द्र बतरा के तौर पर हुई जो ’मुस्तफा’ बनकर काम कर रहा था। इसके बाद तिरुअनंतपुरम में आईएस से सम्बन्ध होने के सन्देह में चार युवकों को उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे अबूधाबी से लौटे। उन्हें आतंकी सम्बन्धों के कारण वहाँ से निर्वासित किया गया। इससे पहले आईएस में शामिल हो चुके मुम्बई के युवकों को गिरफ्तार किया गया था।

अब चौंकाने वाली खबर सामने आई है कि दिल्ली की रहने वाली दिल्ली विश्‍वविद्यालय से ग्रेजुएट एक हिन्दू युवती आईएस में शामिल होना चाहती है। उसके पिता जोकि सेवानिवृत्त लैफ्टिनेंट कर्नल हैं, ने इस मामले में राष्ट्रीय जाँच एजैंसी से सम्पर्क कर मदद मांगी है। वह आईएस में भर्ती करने वाले लोगों के सम्पर्क में है। यह युवती ग्रेजुएशन करने के बाद तीन साल पहले पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए आस्ट्रेलिया गई थी। वहाँ से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद घर लौटी तो परिजनों ने उसमें कई बदलाव देखे।

देश के हिन्दुओं के आगे सबसे अहम सवाल आकर खड़ा हो गया है कि जिस युवती ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर रखी हो, जिसके पिता ने भारतीय सेना में अधिकारी के तौर पर राष्ट्र की सेवा की हो और जिसने देश की खातिर मर-मिटने पर अपना पूरा जीवन खपा दिया हो, उनकी बेटी आखिर क्रूरता की हदें पार कर देने वाले संगठन का हिस्सा बनने की इच्छुक क्यों है? जिस लड़की का सांस्कृतिक और धार्मिक लिहाज से जिस संगठन से कोई लेना-देना नहीं हो वह आखिर क्यों उसमें शामिल होना चाहती है? यह कैसा पागलपन है? कारण कहाँ ढूंढें-घर में, देश में या विदेश में? हाल के दिनों में भारत के युवाओं की आईएस में दिलचस्पी बढ़ी है तो यह एक खतरनाक रुझान है। सीरिया, इराक या अन्य देशों में आईएस के आतंकियों द्वारा मर्दों, महिलाओं तथा बच्चों के साथ ऐसे बर्बरतापूर्ण सलूक किए जा रहे हैं कि जिसे सुनकर रूह भी कांप उठे। जो सामूहिक नरसंहार कर रहे हों, निर्दोषों का सर धड़ से अलग कर वीडियो जारी कर रहे हों, जो महिलाओं और छोटी बच्चियों को अपनी यौन पिपासा शान्त करने के लिए गुलाम बना कर रखते हों, जो हर क्षण धार्मिक कट्टरता के नाम पर मानवता का गला घोंटता हो, ऐसे संगठन में हिन्दू युवती क्यों शामिल होना चाहती है? इस युवती के दिमाग में आस्ट्रेलिया में इण्टरनेट के जरिये इस्लामिक स्टेट के एजैंटों ने जहर भरा और उसे जेहादी बना डाला। प्रभाव इतना अधिक हुआ कि दो माह की काउंसलिंग के बाद भी युवती को आईएस के प्रभाव से मुक्त नहीं कराया जा सका।

जन्नत के लिए जेहाद का जहर भारत के अपरिपक्व युवाओं में फैल रहा है। आईएस के निशाने पर भारत है। कभी जम्मू-कश्मीर में आईएस के झण्डे फहराए जाते हैं, कभी उत्तर प्रदेश में इसकी दस्तक सुनाई देती है। जब कुछ लोग किसी धर्म या किसी विचारधारा से चालित होकर अपना विवेक खो बैठते हैं तथा उन्माद की स्थिति तक पहुंच कर किसी समाज और देश को नुक्सान पहुंचाने की दृष्टि से अपने जीवन की परवाह न कर हमलावर बन जाते हैं तो उन्हें आतंकवादी कहा जाता है। यही लोग खुशी-खुशी आत्मघाती बन जाते हैं क्योंकि उनको ऊंचे आदर्शों, मर जाने के बाद भी जन्नत के सुखों की प्राप्ति का विश्‍वास दिला दिया जाता है।

आईएस का उद्देश्य इराक और सीरिया के सुन्नी इलाकों को मिलाकर इस्लामिक स्टेट बनाना है। उसकी भावी योजना में 2020 तक पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के साथ दुनिया के बड़े इलाकों पर कब्जा करना है। आईएस में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया और कई यूरोपीय देशों के लड़ाके शामिल हैं और अब भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।

यदि भारत ने इस्लामिक स्टेट के विरोध में आवाज नहीं उठाई तो एक दिन भारत में आईएस द्वारा नरसंहार की शुरूआत की जाएगी और उसमें शामिल होंगे हमारे अपने ही बच्चे। क्या भारत में भी साम्प्रदायिक संघर्ष की स्थितियाँ पैदा की जा रही हैं? भारतीय मुस्लिम भी आईएस के खतरे को समझें।

सोशल साइटों पर आईएस छाया पड़ा है। उसने अपनी स्वर्ण मुद्रा भी तैयार कर ली है। आज सबसे बड़ा सवाल अपनी सन्तानों को बचाने का है। बच्चे पानी की तरह होते हैं, इन पर कोई भी रंग चढ़ सकता है। जागो हिन्दुओ जागो, जागो मुस्लिम भाइयो जागो, जागो राष्ट्र जागो ! जेहादी मानसिकता से मुकाबला करना होगा।

चिन्ता है स्वत्व कोई, तू त्याग-तप से काम ले यह पाप है,
पुण्य है विछिन्न कर देना, बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है। - अश्‍विनी कुमार | साभार- पंजाब केसरी 23.09.2015 | (दिव्ययुग- नवम्बर 2015)

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