विशेष :

बाजीराव मस्तानीयम-12

User Rating: 0 / 5

Star InactiveStar InactiveStar InactiveStar InactiveStar Inactive
 

Bajirao Mastaniyam 12

युद्धप्रसंगेष्वपि बाजिरावं मस्तानियोगः सफलं चकार।
दक्षा हि काशी स्वपतिप्रभावात् गृह्णाति कान्तिं हि रवेः सशीव ॥111॥

राजस्व माता स्वजनाश्‍च बन्धुः दग्धाः स्वयं मत्सरवन्हिना ते।
भीतिस्तु तेषां ज्वलदुल्मुकेव दग्धं गृहं सैव करिष्यतीति ॥112॥

पुण्ये च काशी यवनी-प्रवेशं सुखाय पत्युर्मनसा तु मेने।
तथापि नारी पति-जीवने किम् एकाधिकारं सहजं जहाति ?॥113॥

जनापवादः शमतां गतोऽपि सापत्नभावव्यथिता तु पत्नी।
कान्ता द्वितीयापि तु साद्वितीया भक्तिस्तदीया सुखदा जनेषु ॥114॥

वीरस्य पत्नी पति-शौर्यमुग्धा सा सौख्यदात्री हृदि न प्रसन्ना।
अहिस्तु दूर्वास्विव नैव दृष्टस् तदीयरोषो मधुराननायाः ॥115॥

मस्तानि-निष्कासनमीहमानैः क्षुब्धः कृतस्तैः स्वजनैश्‍चिमाजिः।
एकाकि-रावं स जगाम शीघ्रम् न दूरदृष्टिर्लघुचेतसां हि ॥116॥

रावं च मस्तानि-रतिं विहातुं प्रोवाच धूर्तो निभृतं चिमाजिः।
नदी-प्रवाहाहृतमूलभूमिः महान् तरुर्याति हि दुर्बलत्वम् ॥117॥

नत्वा स रावं पुनरप्युवाच क्षमस्व बन्धो मम धृष्टतायै।
किं शुक्र-तेजोऽस्ति रवेः समक्षं ? तेजस्विताया न सखाथवाप्तः ॥118॥

न चाग्निहोत्रं न च यज्ञवन्हिरग्नेः शलाका तु न धर्ममान्या।
संस्थाप्य तां किं शयनस्य कक्षे ‘सा’ स्त्री तु तापाय चरिष्यतीति॥119॥

राकासु चन्द्रस्य कलाभिवृद्धिः तस्यैव चन्द्रस्य कलम वृद्धिः।
श्रेष्ठं पदं प्राप्य गुणप्रकर्षात् नरस्य दोषाः प्रगुणीभवन्ति॥120॥

हिन्दी भावार्थ
युद्ध के समय मस्तानी के कारण बाजीराव विजय प्राप्त कर रहे थे। पति के प्रभाव के कारण पत्नी (काशीबाई) राज्य व कुल रक्षणसंबंधी कार्यों में दक्ष हो गई थी । जैसे चन्द्रमा सूर्य से अपनी कान्ति ग्रहण करता है वैसे ही॥111॥

बाजीराव की माता राधाबाई, सगे-सम्बन्धी लोग तथा भाई चिमाजी मस्तानी के प्रति मत्सर रूप अग्नि से स्वयं दग्ध हो गये थे। (कष्ट तो उन्हें ही हो रहा था।) उन्हें डर था कि कहीं जलती शलाका के समान यह मस्तानी पूरे खानदान को राख में न बदल दे। (पत्नी काशी अवश्य समझदार महिला थी) ॥113॥

पुणे के ‘शनिवारवाड़ा’ महल में उस यवन स्त्री के (अवांछनीय) प्रवेश को पति-सुख के खातिर उनकी पत्नी काशी ने स्वीकार तो कर लिया। फिर भी कोई नारी अपने पति पर अपने एकाधिकार को सहजता से कैसे छोड़ सकती है ? ॥114॥

यद्यपि (मस्तानी को लेकर) लोकनिन्दा (कुछ समय बाद) शांत हो गई थी, तथापि श्री बाजीराव की प्रथम पत्नी सापत्नभाव के कारण व्यथित थी। मस्तानी तो द्वितीय पत्नी होने पर भी सौंदर्यादि गुणों से अद्वितीय थी। उसके श्रीकृष्ण के प्रति भक्तिभाव के कारण लोगों में सुखदायक भी थी॥114॥

वीर राव की पत्नी काशीबाई पति के पराक्रम पर मोहित थी। किन्तु माधुर्यभाव से युक्त उसके मुख के कारण उसके (मन में छिपा) रोष, हरी दूब में छिपे सर्प के समान ही किसी को दिखाई नहीं दिया॥115॥

मस्तानी को पुणे से बाहर निकालने की इच्छा रखने वाले आप्त-बान्धवों ने चिमाजी को उकसाकर क्षुब्ध किया। तब तत्काल चिमाजी अकेले राव को देखकर उनके पास चले गए। जिनका मन क्षुद्र होता है उन्हें दूरदृष्टि नहीं होतीहै॥116॥

राव को मस्तानी के मोह से छुड़वाने के लिए उसके पास आकर चतुर चिमाजी ने एकान्त में राव से कहा कि- ‘यदि किसी महावृक्ष के मूल में स्थित मिट्टी को नदी का प्रवाह बहा देता है तो वह महावृक्ष भी निर्बल हो जाता है।’॥117॥

चिमाजी ने प्रणाम कर आगे कहा कि- भाई साहब! मैं जो कहने की धृष्टता कर रहा हूँ, उसके लिये मुझे क्षमा करें। भला, सूर्य के सामने शुक्र ग्रह का क्या तेज हो सकता है ? जो तेजस्वी होते हैं उनका कोई मित्र या रिश्तेदार नहीं होता है॥118॥

भाईसाहब, घर में अग्निहोत्र हो या यज्ञशाला हो, अग्नि की उपासना तो धर्ममान्य है। किन्तु जलती हुई शलाका मान्य नहीं है, जिसे अपने शयन के कमरे में रखेंगे तो आपको तो ताप देगी। (घर में धर्मपत्नी को धर्म की मान्यता है, किन्तु मस्तानी को नहीं।) ॥119॥

पौर्णिमा में चन्द्रमा की सभी कलाएं बढ़ती हैं, उसी प्रकार उसके कलंक की भी वृद्धि होती है। अपने अनेक गुणों के प्रभाव से श्रेष्ठ स्थान पाने पर भी मनुष्य के दोष लोगों को वृद्धिगत दिखाई देते हैं। (राव के श्रेष्ठ पद पर पहुंचने पर भी कुछ दोष दिखाई देने लगे थे, यथा मस्तानी का प्रेम) ॥120॥ - डॉ. प्रभाकर नारायण कवठेकर (दिव्ययुग - नवम्बर - 2008)


Bajirao Mastaniyam-12 | Historical Poetry | Wise Woman | For the Sake of Husband's Happiness | Unique to Beauty | Fascinated by Husband's Feat | Fire Worship | Religion Recognition of Religion to Wife | All the Arts of Moon | Increase of Stigma | Man's Faults | Vedic Motivational Speech in Hindi by Vaidik Motivational Speaker Acharya Dr. Sanjay Dev for Makundapur - Vapi - Lalitpur | News Portal - Divyayug News Paper, Current Articles & Magazine Mal - Katghar Lalganj - Lucknow | दिव्ययुग | दिव्य युग