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कर्मठता के अभाव का नाम बेरोजगारी है

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Unemployment is the Name of Lack of Diligence 0

आए दिन अखबारों में बेरोजगारी के बढते आंकड़े हमारे सामने होते हैं। हाल ही में आए अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 186 लाख व्यक्ति बेरोजगार हैं। एक के बाद एक ऐसी खबरें पढकर हम यह मान लेते हैं कि देश में बेरोजगारी की समस्या है। परन्तु हम यह भूल जाते हैं कि जिस प्रकार से हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार बेरोजगारी को देखने का भी दूसरा नजरिया हो सकता है।

बेरोजगारी का असली कारण है सर्वश्रेष्ठता और कर्मठता का अभाव। उदाहरण के तौर पर अगर हम देखें तो हमारे आसपास दूर-दराज से मजदूर काम की तलाश में आते होंगे। अब सोचिए अगर वे लोग भी अपने राज्य में रहकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते और बस बेरोजगारी को कोसते रहते, तब तो अर्थव्यवस्था का पहिया ही थम जाता। परन्तु इन लोगों ने बजाय प्रणाली को दोष देने के, सच्ची लगन, निष्ठा और आत्मविश्‍वास के साथ काम ढूंढा तथा उसे बखूबी निभाकर राष्ट्र निर्माण में अपने आपको लगा दिया। इससे स्पष्ट होता है कि समस्या रोजगार के अभाव की नहीं, बल्कि कर्मठता के अभाव की है।

यदि बेरोजगारी का सही तरह से आंकलन किया जाए और इसके तह तक जाया जाए तो कुछ महत्वपूर्ण बातें निकल कर आती हैं जो कि प्रमुख तौर पर बेरोजगारी के कारण हैं -
* पर्याप्त योग्यता का ना होना।
* रोजगार खोजने के अथक प्रयास ना करना।
* विलासिता को ना त्यागना।
* प्रतिस्पर्धा की भावना का अभाव।
* भाग्य को दोष देकर, हाथ पर हाथ धरे बैठ जाना।
* गलत राह पर चलना जैसे नशा, धूम्रपान इत्यादि।

कुछ बुद्धिजीवियों का ऐसा भी मानना है कि आज के समय में अल्प बेरोजगारी की समस्या है। अर्थात व्यक्ति को अपनी क्षमता से कम काम या वेतन मिलना। उनका तर्क है आज एक पीएचडी धारक व्यक्ति डी ग्रेड या चपरासी के पद के लिए आवेदन करने पर मजबूर है। परन्तु यह बात हजम नहीं हो सकती। क्योंकि अगर वह व्यक्ति सही में योग्य होता तो आज देश में अनुसन्धान के बहुत मार्ग खुले हैं और सरकार विभिन्न प्रकार की सहायता भी उपलब्ध करवा रही है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि आपकी शिक्षा उत्तम है, शिक्षा से मेरा मतलब महज डिग्री की प्राप्ति नहीं बल्कि ज्ञान से है, तो आप बेरोजगार नहीं रह सकते। दूसरी ओर सरकार भी वास्तविक बेरोजगारी को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है, जैसे -
* कौशल भारत अभियान
* प्रधानमन्त्री श्रम योगी मानधन योजना
* सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना
* दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना
* स्टार्ट अप इण्डिया योजना
* प्रधानमन्त्री कौशल विकास योजना
* राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन इत्यादि।

इससे साबित होता है कि दोष रोजगार की कमी का नहीं, निकम्मेपन का है। हालांकि वास्तविक व्यक्ति जो रोजगार से किसी अन्य कारणवश वंचित रह गए हैं, सरकार उन्हें मासिक भत्ता देती है, जिससे वे अपने हुनर निखार सकें और रोजगार प्राप्त कर सकें।

आज के समय में जरूरत है तो अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर निकलकर कड़ी मेहनत करने की। याद रहे इसमें पसीना, दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत लगती है।• - कु. विनीता पहल (दिव्ययुग- अप्रैल 2019)

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