यदि आप किसी पुस्तक मेले में जा रहे हैं और आपको वहां किसी मुस्लिम स्टॉल पर ‘वेद और कुरान फैसला करते हैं! कितने दूर कितने पास’ पुस्तक दिखाई दे या फिर इस तरह की कोई अन्य पुस्तक दिखाई दे तो आप सावधान हो जाएं। अपने मित्रों और परिचितों को भी इससे सावधान करें। दरअसल, इस तरह की पुस्तकों की आड़ में हिन्दू धर्मावलम्बियों को भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। इसके माध्यम से छद्म तरीके से इस्लाम का प्रचार किया जा रहा है। इस पुस्तक का एक दृष्टांत देखें- ‘‘ईश्वर ने आकाश से बड़े दुःख के साथ यह (हिंसक घटनाएं, आतंकवाद) दृश्य देखा। उसने तो एक ही धर्म की स्थापना की थी। जब-जब धरती पर धर्म का नाश होता नजर आया, उसने अपने देवदूत भेजकर उसी एक सतधर्म (?) की पुन: स्थापना की। अब वह भी अपने प्रमाण पूरे कर चुका है। अंतिम देवदूत भी आकर चला गया। ईशदूतों के लाए संदेश भी मौजूद हैं। इंसान की समझ में आता है तो ठीक, वरना निर्णय का दिन आएगा।’’
यहाँ एक सतधर्म से आशय क्या है, इसे आसानी से समझा सकता है। साथ ही ‘अंतिम देवदूत भी आकर चला गया’ इसका क्या आशय है? इस्लाम हजरत मोहम्मद को अंतिम पैगंबर मानता है। जबकि गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- यदा यदा ही धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत:, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मनं सृजाम्यहम्। अर्थात धरती पर जब जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं अवतरित होता हूँ अर्थात् जन्म लेता हूँ। दोनों ही बातों में कितना अंतर है! इससे इस छद्म प्रचार को समझा जा सकता है।
पिछले दिनों इन्दौर के दशहरा मैदान में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले में इसी तरह का एक बुक स्टाल लगा था, जिसका दिव्य मानव मिशन के अध्यक्ष आचार्य डॉ. संजय देव जी ने तार्किक विरोध किया था। उनके इस विरोध का वहां मौजूद लोगों ने भी समर्थन किया था।
परिणामस्वरूप यह स्टॉल तुरन्त बन्द कर दिया गया था। लोगों का कहना था कि हमें तो यह पता ही नहीं था। आचार्य जी ने इस सम्बन्ध में कहा कि दुर्भाग्य से हिन्दू धर्मावलम्बी अपने ग्रन्थों का अध्ययन ही नहीं करते, इसके चलते छद्म प्रचार का शिकार हो जाते हैं। बाद में लोग इनके बहकावे में आकर देश विरोधी गतिविधियों में संलग्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर का दूत कभी अंतिम नहीं होता। किसी न किसी रूप में वह हमारे बीच में मौजूद रहता है और समाज को नई दिशा देने का काम करता है। राम, कृष्ण, कपिल, कणाद, गौतम, व्यास, महावीर, गौतम बुद्ध के अलावा महर्षि स्वामी दयानन्द, महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानन्द आदि महापुरुष हमारे लिए किसी देवदूत ही हैं।
आचार्यजी का कहना है कि हमें अपने वेद, उपनिषद आदि धर्मग्रंथों का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। इससे न सिर्फ हमारे ज्ञानचक्षु खुलेंगे बल्कि हमें कोई भ्रमित नहीं कर पाएगा और हम दूसरों के कुतर्कों का तार्किक आधार पर जवाब दे पाएंगे। (दिव्ययुग- अप्रैल 2019)
Beware of the Propaganda of Muslims | Promotion of Islam | Establishment of Religion | Loss of Religion | At Dussehra Maidan in Indore | Anti Country Activities | Vedic Motivational Speech in Hindi by Vaidik Motivational Speaker Acharya Dr. Sanjay Dev for Manamadurai - Vadakarai Keezhpadugai - Bandia | दिव्ययुग | दिव्य युग