दुर्योधन ने जुएं में पाण्डवों का सारा राजपाट, पाण्डवों को और उनकी धर्मपत्नी द्रौपदी को जीतने के बाद दुशासन को आदेश दिया, “दुशासन! जाओ और द्रौपदी को यहाँ ले आओ।’’
भाई का आदेश मिलते ही दुशासन द्रौपदी को लाने जा पहुँचा। द्रौपदी ने दुशासन के साथ चलने से इंकार कर दिया तब वह जबरदस्ती द्रौपदी को सभा में घसीट लाया। दुर्योधन के आदेश पर वह द्रौपदी के शरीर से वस्त्र अलग करने का प्रयास करने लगा। दुशासन के इस कृत्य पर सभा में कौरवों की आलोचना होने लगी।
भीष्म, द्रोणाचार्य और कृपाचार्य भी कौरवों की निन्दा करने लगे तब धृतराष्ट्र बोले, “दुशासन, द्रौपदी को छोड़ दो।’’ “तात् हमने द्रौपदी को जुंए में जीता है।’’ “दुशासन मेरी आज्ञा है, द्रौपदी को तुरन्त छोड़ दो।’’
और दुशासन ने पिता की आज्ञा का पालन किया। धृतराष्ट्र ने दुर्योधन की गलती पर माफी मांगते हुए उसे समझाकर बोले, बेटी तुम जो भी चाहो मुझसे वर मांग सकती हो।
मैं चाहती हूँ, मेरे पति युधिष्ठिर दासत्व से मुक्त हो जाये।
तथास्तु, धृतराष्ट्र बोले, बेटी मैं चाहता हूँ तुम मुझसे और वर मांगों।
मैं दूसरा वर मांगती हूँ, मेरे शेष चारों पति भी अपने अस्त्र-शस्त्रों के साथ दासत्व से मुक्त हो जाऐं।
’’बेटी तुम्हारी इच्छा पूर्ण हुई’’, धृतराष्ट्र दूसरा वर देते हुए बोले, बेटी तुम मेरी पुत्र वधुओं में सबसे योग्य हो। मैं चाहता हूँ तुम मुझसे और वर मांगों। “महाराज, मुझे अब ओर वर मांगने की जरूरत नहीं है।’’
“क्यों बेटी?’’ धृतराष्ट्र ने पूछा था।
“मेरे पाचों पति दासत्व से मुक्त हो चुके हैं। अगर उनमें पुरुषार्थ होगा तो वे अपना खोया साम्राज्य पाने के साथ आज भरी सभा में हुी मेरी बेईज्जती का बदला भी जरूर लेंगे। - किशनलाल शर्मा
Boon Demand | Duryodhan | Pandawa | Dropadi | Obey | Criticism | My Order | Demand Me | Free from Slavery | Most Worthy | Efforts | Dishonesty | Vedic Motivational Speech in Hindi by Vaidik Motivational Speaker Acharya Dr. Sanjay Dev for Kalanwali - Tiruvannamalai - Katai | News Portal - Divyayug News Paper, Current Articles & Magazine Kalara - Tirwaganj - Katkar | दिव्ययुग | दिव्य युग