बाबर का आक्रमण भारतीय स्वाभिमान पर किया गया हमला था। राष्ट्रीय स्वाभिमान सम्पन्न व्यक्तित्व के धनी भारतीयों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इसके विपरीत राष्ट्रीय स्वाभिमान शून्य कायर मनुष्यों ने बाबर के समक्ष सिर झुका दिया था और बाबर की जीहुजूरी करने में गौरव का अनुभव करने लगे। इस प्रकार बाबर कायरों के दिल का बादशाह बन गया था। आगे चलकर वह भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक चिह्नों को नष्ट कर अपनी मुहर लगाने के लिए अपनी मान्यता के चिह्न स्थापित करने लगा। इस क्रम में उसने कई मन्दिर व भारतीय स्मारक नष्ट किए तथा उनके स्थान पर अपनी धार्मिक मान्यता के निशान खड़े कर दिए। उसके गुलाम चाटुकारों ने उसकी भावना को मूर्तरूप दिया। बाबर को क्या मालूम था कि श्रीराम भारतीयों के दिल का पूज्य शृंगार है। किसी भारतीय चाटुकार ने रहस्य उजागर कर दिया होगा। उसने भारतीय श्रद्धा के केन्द्र श्रीराम का जन्मस्थल भी बता दिया होगा। रहस्य उजागर होने पर बाबर ने उस श्रद्धा केन्द्र श्रीराम की जन्मभूमि के अस्तित्व को मिटाकर मस्जिद बनवा दी थी। इस घटना ने श्रीराम भक्त देशभक्तों के हृदय को गहरा आघात पहुँचाया। तभी से अयोध्या में स्थित श्रीराम की जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए व बाबर के चिह्न को मिटाने लिए भावना मचलती रही। आज से साठ वर्ष पूर्व विचारों ने कानूनी रूप लेना प्रारम्भ किया। लड़ते रहे, लड़ते रहे, परन्तु किनसे? उनसे जो बाबर के अनुयायी हैं। जो उस आक्रमणकारी के चिह्न को बनाए रखना चाहते हैं उनसे।
कानूनी दाँव-पेंच में साठ वर्षों का लम्बा समय बीत गया। अन्त में 30 सितम्बर 2010 गुरुवार को वह भाग्यशाली दिन आया, जब भारत के परम आराध्य श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या को हम अपनी आराधना के लिए मुक्त करा सके। एक समय था जब स्वयं श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर उसे अमानवीय तत्वों से मुक्त कराया था। आज उन्हीं के आशीर्वाद फलीभूत हुए हैं। अयोध्या विजय भी उन्हीं के आशीर्वाद का परिणाम है। अतः यह श्रीराम की अयोध्या विजय है।
भारत के मुसलमान भी भारतीय हैं। उनमें भी देशभक्ति और राष्ट्रीय स्वाभिमान के भाव हैं। तीन जजों में से एक मुसलमान हैं, जिन्होंने न्याय के पक्ष में अपना समर्थन दिया है। विवादित स्थल के बारे में तीनों जजों ने माना कि यह जन्मभूमि भगवान राम की है। भारतीय मुसलमानों के लिये यह फैसला एक सुनहरा अवसर प्रदान कर रहा है। वे इस अवसर पर अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान को सिद्ध कर सकते हैं। इसके लिए वे उन तत्वों को जो फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अपील करने जा रहे हैं उन्हें ऐसा करने से रोकें। इससे भी आगे बढ़कर जो एक तिहाई भूमि उन्हें दी गई है, उसे भी लौटा देने की बात प्रस्तावित करें। ऐसा करने से उन्हें करोड़ों भारतीयों का सच्चा प्यार ही नहीं मिलेगा, बल्कि हम सब भारतीय मिलकर दुनिया के सामने श्रेष्ठतम भाईचारे का उदाहरण प्रस्तुत करने में समर्थ होंगे।
आइये! हम सब मिलकर राष्ट्रीय स्वाभिमान में भागीदार बनें। - प्रा. जगदीश दुर्गेश जोशी
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