दृढ़तर इच्छाशक्ति लिए तुम,
उत्तम से भी थे उत्तम।
मर्यादाओं की रक्षा की
हे मर्यादा पुरुषोत्तम।
बसे जगति के जन-जन उर में
आर्य पुत्र! दशरथ नन्दन
राम! तुम्हें शत-शत वन्दन॥
महि मण्डल की समस्त आसुरी,
वृत्तियों के तुम थे संहारक।
सत्य प्रेम के समरसता के
तुम थे भगवन् प्रबल प्रचारक।
विप्र-धेन-सुर सन्तों में भर-
दिया अभयता स्पन्दन।
राम! तुम्हें शत-शत वन्दन॥
वैदिक पथ के पथिक बने तुम,
वेदों पर संसार बढ़ाया।
सत्य शिव व सुन्दरता पूरित
जनहितकारी राज्य चलाया॥
नष्ट किया तुमने हे राघव-
उत्पीड़ित दलितों का क्रन्दन।
राम! तुम्हें शत-शत वन्दन॥
रघुकूल भूषण राम हुए तुम-
भारत माँ के अमर सपूत।
शौर्य-शक्ति साहस सहिष्णुता
भरी हुई थी दिव्य अकूत।
अपराजेय युगीन पुरुष बन
विष भी बना दिया चन्दन।
राम! तुम्हें शत-शत वन्दन॥ - राधेश्याम आर्य विद्यावाचस्पति (दिव्ययुग- नवंबर 2012)
You destroyed Raghav - Crushing of oppressed Dalits. RAM! I wish you 100 years old Raghukul Bhushan Ram became you Immortal son of Mother India. Valor courage courage tolerance Was filled with divine power.