श्रीरामनवमी। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म दिन ! भगवान राम की कथा हम त्रेतायुग से लेकर आज तक सुनते आए हैं । किन्तु जब भी इस कथा को सुनते हैं या देखते हैं तो ऐसा लगता है जैसे ये कल की ही बात हो । सभी किरदार, सभी पात्र आज भी हमारे आस-पास मौजूद है । बुराई को समाप्त करने के लिए आस-पास उपस्थित रावणों से दिन-प्रतिदिन का युद्ध ! अगर बदला है तो राम और उनके आदर्श, बदली है मित्रता और उसका महत्त्व ! बदल गया छोटे-बड़े होने का भाव तथा सच्ची भक्ति और ईमानदारी। बाकि सब कुछ वैसा ही है जैसा त्रेतायुग में था । इतने सारे बदलाव के बावजूद, आज भी हम भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलने की कोशिश करते हैं या चल रहे हैं । जिसने भी भगवान राम के आदर्शों को अपनाया और उनका पालन किया, वो व्यक्ति अपने आप में सम्पूर्ण एवं परिपक्व इन्सान हैतथा एक आदर्श है आज के युग में । आज देश को ऐसे ही मर्यादा पुरुषों की जरूरत है।
भगवान राम ने अपने सम्पूर्ण जीवन में ऐसे अनेकों कार्य किये हैं, जिनका हमें अपने इस जीवन में अनुसरण करना चाहिए। हम लोग उनका अनुसरण कहीं ना कहीं करते तो हैं, किन्तु उस पर दृढ नहीं रहते। भगवान राम को सत्यवादी राजा और मर्यादा पुरुष के रूप जाना जाता है । उनका सबसे बड़ा व्यक्तित्व यही था कि वह एक राजा होते हुए अपने आप को एक साधारण व्यक्ति मानते थे । वह एक अच्छे राजा के साथ-साथ एक अच्छे पुत्र, पति, भाई एवं मित्र के रूप में जाने जाते हैं । जिस तरह भगवान राम ने अपने पिता के वचनों का मान रखने के लिए वन जाना स्वीकार किया, ठीक उसी प्रकार हमें आज अपने पिता का मान रखना चाहिए । किन्तु इस देश में आज कई वृद्ध पिताओं की क्या हालत है, ये हम अच्छे से जानते हैं, मजबूर, लाचार वृद्ध आश्रमों में रहने को मजबूर ! अगर आप अपने पिता का मान रखते हैं, उनका सम्मान करते हैं तो आप वास्तव में मर्यादा पुरुष की श्रेणी में हैं।
जिस तरह राम ने बड़ा भाई होते हुए भी अपने छोटे भाई भरत को सब कुछ देने में जरा सी भी आनाकानी नहीं की और सब कुछ सहर्ष स्वीकार कर लिया, ठीक उसी तरह आज हमें इस तरह बड़ा होने का भाव अपने अन्दर रखना चाहिए । किन्तु आज भाई ही भाई का सबसे बड़ा दुश्मन हो गया है। आज भाई ही भाई का गला काट रहा है। यदि आप अपने भाई के प्रति अपनत्व का भाव रखते हैं, तो आप हैं मर्यादा पुरुष । वह एक अच्छे मित्र थे जिन्होंने अपनी मित्रता के वचन को हर हाल में पूरा किया । किन्तु आज इन्सान मित्र बनकर अपने ही मित्र की पीठ में छुरा घोंप रहा है । आज सिर्फ मतलब के लिए रह गयी है मित्रता ! क्या आपने कभी आपने मित्र का मान-सम्मान किया ? यदि किया है तो आप हैं मर्यादा पुरुष!
भगवान राम ने जिस तरह बुराई को ख़त्म करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास भोगा और रावण का सर्वनाश किया, ठीक उसी तरह हमें अपने आस-पास व्याप्त बेईमानी, भ्रष्टाचार, लूट-खसोट जैसी रावण रूपी बुराइयों को दूर करना होगा। हम भी अपने आप को दिल से टटोलकर देखें, हमारे अन्दर भी एक मर्यादा पुरुष है। क्योंकि आप भी अपने माता-पिता का मान रखते हैं। आप भी मन में बड़े होने का भाव रखते हैं और छोटों को प्यार करते हैं! आप भी एक अच्छा मित्र बनने का माद्दा रखते हैं और क्या आप भी मित्रता की कसौटी पर खरे उतर सकते हैं?
क्या आप भी अपने आस-पास की हर बुराई को दूर करना चाहते हैं तथा सत्य के मार्ग पर चलना चाहते हैं? इसके लिये सबसे पहले हमें अपने अन्दर की बुराई को खत्म करना होगा तथा अपने अन्दर से ‘मैं‘ और ‘अहं‘ को नष्ट करना होगा। बड़े होने का भाव रखना होगा। हर कसौटी पर खरा उतरना होगा। यदि ये सारे गुण आपके अन्दर होंगे तो आप कहलायेंगे सच्चे मर्यादा पुरुष। आज हम सब मिलकर ये संकल्प करें कि हम अपने जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का अनुसरण करेंगे और बनेंगे मर्यादा पुरुष ! - संजय चौरसिया (दिव्ययुग - अप्रैल 2014)
Lord Rama is known as a Satyavadi king and a man of dignity. His greatest personality was that he considered himself an ordinary person while being a king. He is known as a good king as well as a good son, husband, brother and friend.