रामायण की सत्यता के प्रमाण
1. नासा द्वारा भारत-लंका के मध्य पुल होने का कहना और उसकी आयु 17 लाख वर्ष बताना। यह समय त्रेता युग का है और भारतीय ग्रन्थ राम का जन्म त्रेता में होना बताते हैं।
2. पुल बांधने का कारण रावण द्वारा अपहृत अपनी पत्नी सीता को छुड़ाना था।
3. रामसेतु की ऐतिहासिकता- अरब जहाज व्यापारियों द्वारा इस सेतु को आदम (मानव) द्वारा बनाया हुआ कहना और बाद में आये योरोपीय व्यापारियों का इसे एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) कहना। अरब के मुसलमान जिसे आदम कहते हैं, उसे ही ईसाई एडम कहते हैं। आदम का जन्म अदन (अरब) में हुआ था। वे कभी दक्षिण भारत नहीं आये और उनके द्वारा पुल बनाये जाने का कोई उल्लेख ना तो यहूदियों की धर्म पुस्तक ओल्ड टेस्टामेन्ट में है तथा ना ही ईसाइयों की धर्म पुस्तक न्यू टेस्टामेंट (बाइबिल) में है और ना मुसलमानों की धर्म पुस्तक कुरान में है। आदम द्वारा पुल बांधे जाने का कोई कारण भी पश्चिम विद्वान या भारत के वामपंथी नहीं बता पाते। जबकि इस रामसेतु को बांधने का उल्लेख रामायण सहित कई धर्म ग्रन्थों में है।
4. वाल्मीकि विश्व के आदि कवि और रामायण विश्व के आदि ग्रन्थ के नाम से पुकारा जाता है। उसके पूर्व के विश्व के समस्त ग्रन्थ श्रुति-स्मृति (याद रखे गये) कहे जाते हैं। रामायण लेखन के पूर्व ही भारत में लिपि का आविष्कार हुआ था। लिपि का आविष्कार सर्वप्रथम भारत में ही हुआ।
5. रामायण काल तक भारत में लोहे का प्रचलन नहीं हुआ था। रामायण में वर्णित राम व रावण के शिरस्त्राण तथा तीर एवं कवच सोने के कहे गये हैं। यह भी रामायण के सत्य ग्रन्थ होने का प्रमाण है। पश्चिम में तो लोहे का प्रवेश मात्र पांच हजार वर्ष से हुआ है। पश्चिम के विद्वान इस तथ्य को स्वीकारते हैं।
6. रामसेतु के मार्ग में आज भी समुद्र के बीच में मीठे पानी के कुंए का होना व धनुष्कोटि पर मीठे पानी के कुंए का होना यह प्रमाण है कि राम के साथ मीठे जल के भूगर्भीय स्त्रोत का पता लगाने वाले विद्वान थे। सेतु मार्ग पर बना मीठे जल का कुंआ रामबाण से निर्मित बताया जाता है। विद्वान बतायें कि सागर जल में मीठे पानी का कुंआ किसने खोदा और जहाँ मानव निवास था ही नहीं, किसे पिलाने के लिये मीठे पानी की आवश्यकता पड़ी? ये कुंए वानर सेना के लिये ही खोदे गये थे। चारों ओर सागर के खारे पानी के बीच से कुएं की दीवार बनाकर मीठे जल को रोकना एक वैज्ञानिक चमत्कार है।
7. राम के वनगमन मार्ग में चित्रकूट, रामटेक, नासिक, किष्किन्धा, शरभंग आश्रम व रामेश्वरम् का होना इन स्थानों की ऐतिहासिकता बताता है।
8. रामायण में राम वनगमन मार्ग में दक्षिण की दो प्रसिद्ध नदियों नर्मदा व ताप्ती को राम द्वारा पार न करना भी रामायण की सत्यता दर्शाता है।
9. वानरों द्वारा सीता की खोज में उत्तरी ध्रुव, पूर्व में जावा-सुमात्रा, एनाकोंडा (विशाल जलसर्प) का उल्लेख व पश्चिम में मरुस्थल का उल्लेख यह दर्शाता है कि 17 लाख वर्ष पूर्व भी भारतीय इन स्थानों से परिचित थे।
10. रामायण में स्वर्ग का वर्णन कश्मीर को ही स्वर्ग सिद्ध करता है। यह कश्मीर महर्षि कश्यप के पुत्र आदित्यों ने बसाया था। कश्मीर के स्वर्ग होने की पुष्टि महाभारत के पाण्डव स्वर्गारोहण के मार्ग से भी सिद्ध होती है।
ईसा के सशरीर स्वर्ग जाने का उल्लेख बाइबिल में है तथा ईसा और उनकी माँ मरियम की कब्रों का कश्मीर में होना भी कश्मीर को स्वर्ग सिद्ध करता है।
रामायण में पेशावर तथा तक्षशिला को भरत द्वारा बसाये जाने का उल्लेख भी रामायण के सत्य ऐतिहासिक ग्रन्थ होने को बताता है।
11. रामायण में अप्सराओं के अविवाहित रहने की घटना की पुष्टि महाभारत में गंगा द्वारा शान्तनु के साथ रहने व चले जाने, शकुन्तला की माँ मेनका के कई ऋषियों से संबंध तथा वर्तमान में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड व नेपाल में प्रचलित बहुपति प्रथा तथा तिब्बत में विवाह संस्था का आज भी न होना रामायण के लेखन की पुष्टि करते हैं।
12. रामायण में वर्णित राक्षस जाति का होना, इन राक्षसों द्वारा अफ्रीका में अपने नाम पर सोमालिया, माली व हेति (वेस्टइंडीज-उत्तरी अमेरिका) का बसाया जाना रामायण को ऐतिहासिक ग्रन्थ सिद्ध करता है।
13. गुजरात के जूनागढ़ के पास सोमालिया की स्वाहिली भाषा बोलने वाले 10 गांवों में बसे हब्शियों की उपस्थिति भी राक्षस जाति व रामायण के सत्य ग्रन्थ होने का प्रमाण है।
14. रामायण में वर्णित खारे पानी की नदी का यम के राज्य में होना, बालुकामय देश होना, पानी की कमी होना तथा यहाँ स्थित विश्व की एकमात्र खारे पानी की नदी लूणी रामायण के कथन को सत्य बताते हैं। वर्तमान का मारवाड़ ही यम प्रदेश था।
15. बलूचिस्तान के कई कबीलों द्वारा स्वयं को रावण का वंशज कहना वाल्मीकि के लेखन को सत्य बताता है।
16. रावण की विजय यात्रा के सभी स्थानों का आज भी होना रामायण के सत्य ग्रन्थ होने की पुष्टि करता है।
17. रावण की सहस्त्रार्जुन द्वारा पराजय व माहिष्मति (महेश्वर) और नर्मदा का उल्लेख रामायण की सत्यता का प्रमाण है।
18. रामायण में वानर जाति का उल्लेख, उनका किष्किन्धा में बसा होना तथा आज भी कुर्ग जाति का गौरवर्णी होना रामायण को सत्य ऐतिहासिक ग्रन्थ बताता है।
19. ताटका वध, रावण द्वारा गाधि आश्रम का उजाड़ा जाना, रावण की उड़ीसा महाकौशल में उपस्थिति दर्शाता है और यहाँ के कुछ आदिवासी कबीलों द्वारा स्वयं को रावण का वंशज कहना रामायण के सत्य ग्रन्थ होने की पुष्टि करता है।
20. पूर्वी लंका में एक नगर त्रिकोंमाली आज भी है। यह तीन राक्षसों माल्यवान, सुमाली और माली के नाम पर बसा होने का संकेत है।
जब राक्षस एक ऐतिहासिक जाति सिद्ध हो गई, वानर एक ऐतिहासिक जाति सिद्ध हो गये, रामायण का आदिग्रन्थ होना सिद्ध हो गया, तो जिनके नाम पर यह ग्रन्थ लिखा गया, वे राम तो ऐतिहासिक व्यक्ति सिद्ध हो ही गये। राम भी काल्पनिक नहीं हैं, रामायण भी काल्पनिक नहीं हैं। यह तो पश्चिम के अधकचरे विद्वानों का हीनभाव से ग्रस्त कथन है। और रामसेतु भी वास्तविक है। (समाप्त) - रामसिंह शेखावत
Historicity of Ramsetu - Arab ship merchants call this bridge built by Adam (Man) and later European traders call it Adams Bridge (Adam's Bridge). The Muslim of Arabia, who is called Adam, is called Christian Adam. Adam was born in Adan (Arabia). He never came to South India and there is no mention of the bridge being built by him neither in the Old Testament of the Jewish Religion nor in the New Testament (Bible) nor in the Quran of the Muslims, nor in the Quran.
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