फिर वही जमाना लाना है
फिर वही जमाना लाना है।
जब भारत माता सकल जगत की माता थी निर्माता थी।
जब यह देवी थी परम पूज्य निज भाग्य की भाग्य विधाता थी॥
थी विद्या में यह जगद्गुरु और वेदों की विख्याता थी।
भण्डार थे इसके परिपूर्ण, हर प्राणी की अन्नदाता थी॥
शक्ति साधन का मूल केन्द्र जीवन, जीवन परित्राता थी।
जग पालक थी जग रक्षक थी जगदम्बा थी जग माता थी॥
यह पथ प्रदर्शक अमर ज्योत, यह देवी थी यह माता थी।
है उसी युग की यह बात कि जब जग में जीवन की प्राता थी॥
जब चहूँ दिशाओं के वासी इसके दर्शन को आते थे।
और इस धरती की मिट्टी को छूने के लिये ललचाते थे॥
वह युग जिस युग में दल बल से हम लमा पर छा जाते थे।
जब कंस, जरासन्ध, शिशुपाल सम्मुख आते घबराते थे॥
जब तड़प-तड़पकर वीर मुगल सम्राटों से टकराते थे।
औरङ्गजेब के पाप शिवा के खाण्डे से शरमाते थे॥
कोमल से बालक मातृभूमि पर बलिदान हो जाते थे।
युग प्रर्वतक पथ प्रदर्शक यहाँ आकर शिक्षा पाते थे॥
फिर वही जमाना लाना है । - मनोहरलाल
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