भारतीय समाज को असहिष्णु कहकर हर उस देशभक्त का घनघोर अपमान किया गया है, जिसने धर्म को दरकिनार रखकर कला को सम्मान दिया। इससे बड़ा अपमान कोई कलाकार अपने चाहने वालों का और क्या करेगा?
जो लोग आज सड़कों पर सहिष्णुता कम हो जाने के गम में दुबले हो रहे हैं, उनके स्वयं के जबड़े सिखों के खून से पूरी तरह सने हुए हैं। सहनशीलता के इतने उतावलों से पूछा जाए कि 1984 में सिखों के कत्ल की साजिश कहाँ रची गई थी और कौन कानों में तेल डाले लगातार तीन दिन तक बहरा बना रहा था। पदक लौटाने वाले भी ये बताएं कि कश्मीर से जब कश्मीरी पण्डितों को ही अपने घर से बेदखल किया जा रहा था तो उन्हें पदक लौटाने की याद क्यों नहीं आई? सच तो यह है कि भारतीय समाज यदि असहिष्णु होता तो ऐसे लोगों का इस देश में रहना सम्भव नहीं था। भारतीय समाज सदा से आवश्यकता से अधिक सहिष्णु रहा है। इसी कारण विदेशी यहाँ शासन करते हुए लूट-मार करते रहे हैं। फिर भी भारत के लोगों ने सबके भले की कामना की है। अब यदि यह असहिष्णुता है तो सहिष्णुता किसे कहेंगे? - आचार्य डॉ.संजय देव (दिव्ययुग- जनवरी 2016)
क्या होती है असहिष्णुता और सहिष्णुता ? | Intolerance | Poor insult of Patriot | Respect for Art | Tolerance | Mixed with blood of sikhs themselves | Evicted from His Home | Award Return | Wishing Everyone the Best | Newspaper, Vedic Articles & Hindi Magazine Divya Yug in Mansar - Kanksa - Manglaur | दिव्य युग | दिव्ययुग |
Calling Indian society intolerant, every patriot has been insulted who respected art by ignoring religion. What greater insult would an artist do to his loved ones?