न ईसा को खतरा है, न मूसा को खतरा है,
खतरा किसी को है तो बस राम को खतरा है।
अजब खेल-खेला, सियासतदानों ने यहाँ,
धर्मनिरपेक्ष लोगों से, हिन्दुत्व को खतरा है।
दिव्ययुग निरन्तर प्राप्त हो रहा है। कई बार पत्रोत्तर में विलम्ब हो जाता है। 31 मार्च यानि चैत्र प्रतिपदा से भारतीय नववर्ष संवत 2071 का प्रारम्भ हुआ है-
मानव जीवन में कुछ पल हैं,
उनका हम आंलिगन कर लें।
विक्रम संवत 2071 का,
‘कीर्ति‘हम अभिनन्दन कर लें॥
संवादों को आधार बना, मानवता जीवन में भर लें।
नववर्ष सन्देश यही है, राष्ट्र प्रेम में अंग-अंग रंग लें॥
आचार्य डॉ.संजयदेव जी के शोध प्रबन्ध के हिस्सों को निरन्तर पढता हूँ। वेद मैंने पढे नहीं हैं, मगर दिव्ययुग के माध्यम से मन्त्रों के अर्थ जानने-समझने का अवसर मिलता है। पर्यावरण संरक्षण में पक्षियों का महत्व, सूक्ष्म दृष्टि भारतीय मनीषियों की विद्वत्ता का प्रतीक है। सम्पादकीय में नववर्ष में चुनाव पर आपके विचार पढे। वर्तमान हालात देखते हुये इस बार हम सबको भारतीय संस्कृति प्रेमी व्यक्तित्व के पक्ष में खुलकर आना चाहिये। यह राष्ट्रहित में आवश्यक है और आदि काल से धर्म समर्थक राजा का साथ सन्तों ने दिया है। अगर हम अब भी नहीं जागे तो बहुत जल्द इस्लामी आतंकवाद की गिरफ्त में होंगे। आज ‘हिन्दू‘ शब्द अस्पृश्य बन गया है। जबकि हमारा धर्म सनातन है तथा हिन्दुत्व प्रत्येक भारतीय की जीवन शैली।
विडम्बना यह है कि हमारे सबसे अधिक दुश्मन हमारे अपने ही भाई हैं। हमारे राष्ट्रीय पर्वों पर कहा जाता है दीवाली पर पटाखे न चलायें, होली पर रंग से न खेलें, मन्दिर में घण्टा न बजायें और हम भी तर्क-कुतर्क देकर मान लेते हैं। क्या फिर से मुगल शासन का आगाज हो रहा है? बुद्धिजीवी वर्ग धर्मनिरपेक्षता की बात करता है। मुस्लिम तुष्टिकरण का नाम है धर्मनिरपेक्षता, समाजवादी मुलायम सिंह, बहुजन समाज मायावती, लालू, कांग्रेस, नयी-नयी पैदा हुई ‘आप‘ सब धर्मनिरपेक्ष।
क्या होती है धर्मनिरपेक्षता कोई बता दे,
किस शब्दावली में लिखा अर्थ, कोई दिखा दे?
जाते हैं जो चर्च और मस्जिद में प्रतिदिन
धर्मनिरपेक्षता का अर्थ, कोई उन्हें बता दे।
आदरणीय ! बातें बहुत सी हैं, फिर साझा करूँगा। - ए. कीर्तिवर्द्धन, मुजफ्फर नगर (उ.प्र.) (दिव्ययुग - जून 2014)