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दिव्ययुग मासिक नियमित रूप से सम्प्राप्त हो रहा है। पूज्य श्री भय्यु महाराज नियमित रूप से इसे पढ़ते हैं। जुलाई 2011 में प्रकाशित लेख की उन्होंने विशेष प्रशंसा की है। वेद पर आधारित ‘राष्ट्र और प्रजा’ शीर्षक लेख उन्हें बहुत अच्छा लगा। लोकमान्य तिलक और चन्द्रशेखर आजाद के जीवन पर आधारित आलेख बहुत रुचिपूर्ण और प्रेरक लगे। दिव्ययुग को हमारे आश्रम के सभी सेवाधारी और कर्मचारी पढ़ते हैं। ज्ञानवर्धक तथा भारतीय संस्कृति के विचारों से ओतप्रोत ‘दिव्ययुग’ को पूज्य श्री भय्यु जी महाराज और सूर्योदय परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ। सूर्योदय परिवार इन्दौर (म.प्र.)

दिव्ययुग के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ। आपकी सारस्वत साधना मानवीय जीवन मूल्यों के लिए धर्म तथा अध्यात्म की दिशा में पुष्पित-फलित होती रहे। आचार्य अवस्थी, सीकर (राजस्थान)

लाजवाब आध्यात्मिक मासिक पत्रिका ‘दिव्ययुग’ का समाज सुधार तथा ज्ञानवर्धन में विशेष स्थान है। दिव्ययुग के सभी आलेख उच्चकोटि के होते हैं। - प्रो. शामलाल कौशल, रोहतक (हरियाणा)

Motivational Speech on Vedas in Hindi by Dr. Sanjay Dev
Ved Katha Part 41 | Explanation of Gayatri Mantra | गायत्री मन्त्र जप के अनुकूल आचरण आवश्यक

दिव्ययुग का एक पुराना अंक पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। पत्रिका काफी सुन्दर, रोचक एवं वैदिक सिद्धान्तों की वाहक है। शुभकामनाओं सहित। जितेन्द्र आर्य एडवोकेट, जेवर (उ.प्र.)
दिव्ययुग में प्रकाशित सभी लेख प्रेरणादायक होते हैं। इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई। किरण गान्धी, फरीदाबाद (हरियाणा)

आपके कुशल मार्गदर्शन में हिन्दी पत्रकारिता अपनी गौरवशाली परम्परा की मशाल बनकर सारे समाज को रोशनी दिखा रही है। सद्भाव, सहयोग व सरोकार की भावना से कार्य करते हुए आप अपने सम्मानित समाचार पत्र के माध्यम से समाज के सभी वर्गों के प्रति सद्भाव रखते हुए लोक और तन्त्र के बीच सेतु बनकर पत्रकारिता की भूमिका को सार्थकता प्रदान कर रहे हैं। वास्तव में आप अपने सम्मानित समाचार पत्र के माध्यम से समाज के बौद्धिक, सामाजिक एवं चारित्रिक गुणों के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हुए समाज को एक नई दिशा दे रहे हैं।

यह मानव जाति का सबसे बड़ा सौभाग्य है कि आज के भ्रष्ट युग में आप जैसी सच्ची पत्रकारिता की भावना से सेवा एवं आदर्श प्रस्तुत करने वाली महान आत्मायें संसार में हैं। आपके कुशल मार्गदर्शन में प्रकाशित होेने वाली पत्रिका की सभी सामग्री अत्यन्त ही ज्ञानवर्द्धक, सारगर्भित एवं स्वस्थ समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली होती हैं।

‘दिव्ययुग’ मासिक जैसी आध्यात्मिक, समाजोपयोगी तत्व ज्ञान तथा पूर्णतया समर्पित पत्रिका मैंने अपने जीवन में बहुत कम देखी हैं। पूज्य कप्तान केदारसिंह तथा आचार्य डॉ. संजयदेव जी के प्रति समाज सदैव ऋणी रहेगा। - जगदीश गान्धी, लखनऊ (उ.प्र.) (दिव्ययुग - अगस्त 2011)