1. विशेष च्यवनप्राश (अष्टवर्गयुक्त) - च्यवन ऋषि द्वारा आविष्कृत यह च्यवनप्राश उतरती आयु में प्रत्येक व्यक्ति को वर्षभर विशेष कर शीत ऋतु में अवश्य प्रयोग करना चाहिए। इस दिव्य औषधि च्यवनप्राश के खाने से शीत ऋतु में सर्दी, खासी, जुकाम आदि से व्यक्ति बचा जाता है। शरीर में शक्ति बनी रहती है। शीत का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। यदि विधिपूर्वक च्यवनप्राश बना हुआ प्रयोग किया जाए तो ऐसा च्यवनप्राश मनुष्य को अनेक रोगों से बचाकर नया शक्ति साहस प्रदान करता है।
2. आयुर्वेदिक चाय - यह चाय वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशेषकर बड़ी आयु के व्यक्तियों के लिए अत्यन्त लाभकारी है। इस चाय के प्रतिदिन सेवन करने से अपचन, कब्जी, भूख का न लगना व बार-बार होने वाले सर्दी जुकाम से मुक्ति मिलती है। नींद अच्छी आती है। भूख खुल के लगती है। जबकि आसामी चाय से नींद और भूख कम हो जाती है। अतः एक बार प्रयोग करके इस चाय से लाभ उठाएँ।
3. ब्राह्मी आँवला तेल - आज कल बाजार में सिर में लगाने के अनेक प्रकार के तेल आ रहे हैं। वैसे तो ये तेल सुगंधित व आकर्षक होते हैं। परन्तु ये बालों को शीघ्र ही सफेद कर देते हैं। जबकि गुरुकुल के द्वारा निर्मित ब्रह्मी आँवला तेल सिर को ठण्डा रखता है। इसके लगातार प्रयोग से सफेद बाल भी काले हो जाते हैं। बाल झड़ते नहीं। यदि झड़ रहे हो तो रुक जाते हैं।
4. वातराज तेल - तिल के तेल में लगभग 50 औषधियों के रस से तैयार किया गया यह तेल एक प्रकार से सब प्रकार की वात रोगों में, सब प्रकार की पीड़ा में लगातार कुछ देर तक मालीश करने से बहुत लाभ देता है। पुराने से पुराने वातरागों, घुटने के दर्द को भी दूर कर देता है। कुछ दिन लगातार मालीश इस तेल के दिव्यगुणों से लाभ उठाएँ।
5. बलदामृत - अंगुर, सेब, संतरा आदि ताजी फलों के रस से तैयार किया गया यह आसव सभी प्रकार का भारी होना, नींद न आने आदि रोगों में अत्यन्त लाभदायक है। भोजन के बाद दोनों समय 15 से 30 मि.ली. तक समान जल मिलाकर सेवन करें।
6. संजीवनी तेल - रामायण में प्रसिद्ध संजीवनी बुटी के रस से तैयार यह तेल सभी प्रकार के घाओं में जले हुए में बहुत उपयोगी है। यदि बैलों को हल्की फाली लग जाए तो इस तेल के प्रयोग से वे घाव भी भर जाता है।
Motivational Speech on Vedas in Hindi by Dr. Sanjay Dev
Explanation of Vedas | मानव निर्माण के वैदिक सूत्र | Dr. Sanjay Dev | Ved Pravachan