हैदराबाद की चंद्रायन गुट्टा विधानसभा सीट से मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने पिछले दिनों पूरे हिन्दू समुदाय को सचेत करने वाला बयान दिया था। इस बयान का सार यह है कि हिन्दू नपुंसक हैं, वे भले ही संख्या में 100 करोड़ हैं, लेकिन 15 मिनट के लिए यदि पुलिस हटा ली जाए तो पता चल जाएगा कि कौन ताकतवर है। इतना ही नहीं, ओवैसी को पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब बच्चा नजर आया। प्रश्न यह उठता है कि क्या इस टिप्पणी को हिन्दू समुदाय या फिर सम्पूर्ण भारत के लिए चुनौती के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए? क्या यह हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान और आत्मगौरव के लिए चुनौती नहीं है? यदि हाँ, तो हम कब तक ऐसे ही सोते रहेंगे? हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए किस तरह का भारत सौंपकर जाना चाहते हैं? देश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसे सैकड़ों-हजारों प्रश्न हो सकते हैं। नहीं हैं तो केवल इनके उत्तर...
दुर्भाग्य से यह बयान एक ऐसे व्यक्ति का है, जिसने देश के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली है। इस बयान को संयोग नहीं कहा जा सकता। इसे जुबान फिसलना भी नहीं कह सकते। यह टिप्पणी योजनाबद्ध तरीके से की गई है, ताकि अल्पसंख्यक समुदाय में बहुसंख्यक हिन्दुओं और इस राष्ट्र के खिलाफ जहर भरा जा सके। दोनों सम्प्रदायों के बीच घृणा और वैमनस्य उत्पन्न किया जा सके। हालांकि ओवैसी बंधुओं की जुबान हमेशा जहर ही उगलती है। अकबरुद्दीन के बड़े भाई असदुद्दीन जो कि सांसद भी हैं, ने असम हिंसा के दौरान कहा था- यदि असम के मुसलमानों का सरकार ठीक ढंग से पुनर्वास नहीं करती (चाहे उनमें अवैध बांग्लादेशी ही क्यों न हो) तो मुसलमान इस देश की ईंट से ईंट बजा देंगे। इन दोनों भाइयों पर हैदराबाद में दंगे कराने के भी आरोप हैं।
इन बयानों को देख-सुनकर किसी भी देशभक्त भारतीय का चिंतित होना स्वाभाविक है। क्योंकि मुल्ला-मौलवियों के भेष में कितने ही ओवैसी मौजूद हैं, जो हिन्दू समाज और देश के विरुद्ध विष वमन कर मुसलमानों को देश का दुश्मन बनाने का षड्यन्त्र रच रहे हैं। इस ओर न तो नेता और न ही सरकारें कोई ध्यान दे रही हैं। किसी अवतार का इन्तजार किए बिना इस समस्या का समाधान भी हमें ही खुद खोजना होगा। स्वयं इस तरह की मनोवृत्तियों के खिलाफ खड़ा होना होगा और उनका विनाश करना होगा, लेकिन इस मामले में हमें बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि एक भारतीय की तरह सोचना होगा।
संविधान की मूल भावना के विरुद्ध ओवैसी की इस टिप्पणी पर स्वयम्भू धर्मनिरपेक्ष पार्टी कांग्रेस और उसके नेताओं की चुप्पी भी दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि इसी तरह के बयान सोनिया या राहुल गांधी के विरुद्ध होते तो शायद देशभर में बवाल मच गया होता और न जाने कितने पुतले फूंक दिए जाते। क्या इससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागर नहीं होता? दरअसल, कांग्रेस की चिन्ता देश के 100 करोड़ से ज्यादा हिन्दुओं की नहीं बल्कि अपने वोट बैंक की है। इनसे आगे वे कुछ देख और सोच ही नहीं पाते।
यदि समय रहते हम सतर्क, नहीं हुए तो न हम खुद को बचा पाएंगे और न ही देश को। क्योंकि जिस जाति और समाज का स्वाभिमान और आत्मगौरव नष्ट हो जाता है, वह पतन की ओर अग्रसर हो जाता है। समय है... देश के दुश्मनों को पहचानो। ...और यह तभी संभव होगा जब हम जागेंगे। अत: जागो हिन्दू ...अब तो जागो.. - (दिव्ययुग- फरवरी 2013)