- भोजन के बाद पेशाब जरूर करें। इससे पेट भी थुलथुल नहीं होगा। साथ ही बढ़ी उम्र में भी गुर्दों की तकलीफ न होगी।
- भोजन के बाद कम से कम 250 कदम जरूर चलें।
- शारीरिक श्रम का अभाव न होने दें। इससे खास भोजन का पच पाना भी कठिन हो जाता है तथा चयापचय अंग भी मन्द पड़ता है। फलतः कब्ज, गैस, अफरा जैसे रोग बदन को थका-हारा बना देते हैं।
- सप्ताह में दो से तीन बार रात को भोजन न करें, निराहार रहें। विशेषकर चालीस की अवस्था के बाद। इस दौरान हार्मोंस परिवर्तन के कारण यदि शरीर का ध्यान न रखा जाए, तो बदन झट दोहरा होने लगता है।
- व्यायाम को दैनिक जीवन का अनिवार्य अंग बना लें। कम से कम 25-30 मिनट रोज शौच से निवृत्त होने के बाद व्यायाम करने से पूरा शरीर हरकत में बना रहेगा। पाचन दुरुस्त होगा। शरीर स्वस्थ होगा व स्फूर्ति की चमक पूरे बदन पर छा जाएगी। बदन का ढीला-ढाला होना गठाव ले लेगा तथा उम्र भी कम प्रतीत होगी।
- भोजन का समय तय करें व जितनी भूख हो, उससे केवल आधा रोटी कम खाएं।
- कौर या ग्रास छोटे-छोटे तोड़ें व तसल्ली से चबाकर स्वाद लेकर खाएं।
- भोजन से पहले एक गिलास जूस, सूप या मट्ठा पी लें, इससे पेट भरा लगेगा।
- भोजन के साथ पानी न पीएं। हाँ, बाद में आधे घण्टे रुककर पानी पीएं। इससे पेट भी नहीं फूलेगा तथा पेशाब भी खुलकर होगी।
- सलाद की एक प्लेट भोजन से पहले ही खा लें, ताकि अन्न कम खाया जाए।
ये सब बातें यदि रोजमर्रा की दिनचर्या का अंग ही बना ली जाएं, तो वजन बढ़ने पर शरीर बेडौल होने की नौबत ही नहीं आएगी। शरीर तो गठावदार होगा ही, स्वास्थ्य लाभ भी होगा व इसकी आभा पूरे शरीर पर झलकेगी, उम्र भी काबू में होगी।
वैधानिक सलाह / परामर्श - इन प्रयोगों के द्वारा उपचार करने से पूर्व योग्य चिकित्सक से सलाह / परामर्श अवश्य ले लें। सम्बन्धित लेखकों द्वारा भेजी गई नुस्खों / घरेलु प्रयोगों / आयुर्वेदिक उपचार विषयक जानकारी को यहाँ यथावत प्रकाशित कर दिया जाता है। इस विषयक दिव्ययुग डॉट कॉम के प्रबन्धक / सम्पादक की कोई जवाबदारी नहीं होगी।
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