कटहल के फल से भला कौन अपरिचित होगा। पूरे देश भर में सहजता से उपलब्ध होने वाला यह फल बहुत पौष्टिक माना गया है और अनेक रोगों में घरेलू औषधि के रूप में भी काम आता है। यहां कटहल के कुछ औषधीय प्रयोगों की जानकारी दी जा रही है-
दुबले-पतले पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को पका कटहल दोपहर में खाकर कुछ देर आराम करना चाहिए।
कटहल के वृक्ष की कलियों को कूटकर गोली बना लें। इस गोली को चूसने से स्वरभंग व गले के रोग में फायदा होता है।
कटहल व आम्रवृक्ष की छाल का रस निकालकर उसमें चूने का निथार वाला पानी मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पीने से रक्तातिसार एवं हैजा में लाभ होता है।
कटहल के अंकुर घिसकर चुपड़ने से, यदि मुंह फटा हो तो उसमें फायदा करता है।
कटहल की लकड़ी को घिसकर उसमें कबूतर की बीट और २-३ मि.ग्रा. तैयार चुना मिलाकर भयंकर से भयंकर फोड़े पर लेप कर दीजिए। राद्धि में लेप कीजिए, सुबह फोड़ा फुटकर पीप बाहर निकल जाएगी।
पका कटहल का फल कफवर्धक है, अतः सर्दी-जुकाम, खांसी, अजीर्ण, गुल्म, दमा आदि रोगों से प्रभावित व्यक्तियों एवं गर्भवती महिलाओं को कटहल खाने के बाद पान खाने से पेट फूल जाता है और खतरा होने का डर रहता है। अतः भूलकर भी कटहल के बाद पान न खाएं।
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