नींबू में बहुत गुण भरे पड़े हैं और इसका उपयोग विभिन्न रोगों पर विभिन्न प्रकार से किया जाता है। ग्रीष्म की थकावट मिटाने तथा शीतल प्राप्ति के उद्देश्य से इसके विभिन्न प्रकार के शरबत बनाकर प्रयोग में लाये जाते हैं। नीचे कतिपय शरबत व सफल प्रयोग दिए जाते हैं। इनकी विधियां सरल हैं और ये हमरे घरों में सुगमतापूर्वक तैयार किये जा सकते हैं।
१. नींबू का स्वरस एक सेर, सैंधव लवण दस तोला मिलकर पकावें, पाक काल में दो-तीन माशा घी भी डालें पकाते-पकाते थोड़ा-थोड़ा करके दस तोला रस और खपाए, पाक हो जाने पर खांड ग्यारह तोला मिलाकर नीचे उतार कर शुण्ठी, मिरच, पिप्पली, अकरकरा, सुहागा, सफेद जीरा, काला जीरा, काला जीरा प्रत्येक दो-दो तोला लें चूर्ण कर मिला दे और गोलियां बना लें।
गुण - यह गोलियां उदर शूल नाशक, परम पाचक व अत्यंत रुचिकर है।
२. नींबू का रस एक सेर, खांड आधा सेर दोनों को मिलाकर पकावें, जब तन्तु बनने लगे तब एक छंटाक द्राक्षा डाला दें। जब द्राक्षा कुछ भीग जाये तब चूल्हे से नीचे उतार कर सैंधव नमक एक छटांक सौवर्चल ढाई तोला, पिप्पली, अकरकरा, मिरच, लवंग, धनियां, सफेद जीरा, काला जीरा, चित्रक एक-एक तोला चूर्ण कर मिलावे तथा थोड़ी सी हींग घी में भून कर मिला कर रख लें।
गुण - अत्यंत स्वादिष्ट पाचक, खांसी, श्वास नाशक, ह्रदय विशोधक है।
Motivational Speech on Vedas in Hindi by Dr. Sanjay Dev
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३. नींबू नींबू का रस तीन सेर, सैंधव लवण चालीस तोला, छुहारा एक सेर, नींबू के रस में लवण तथा डालकर जीरा सफेद दो तोला, जीरा काला दो तोला, मिरच, इलायची, अकरकरा, शुण्ठी, पिप्पली छह-छह माशा मिलाकर तथा हिलाकर रख दें पंद्रह दिन पश्चात छुहारे निकाल सेवन करें।
गुण - यह छुहारे अत्यन्त स्वादिष्ट, रुचिकारक हैं।
४. नींबू का रस और अदरक का रस समान भाग में लेकर सैंधव लवण मिला पीने से अरुचि दूर होकर भूख खूब लगाती है।
५. नींबू के शरबत - नींबू का स्वरस दो सेर, पानी तीन सेर, खांड ढाई सेर इन सब को मिलाकर आग पर पकावें। दो-तीन उफान उफान आने पर उतार लें और सात माशे सोडियम बैंजोएट दो तोला जल में भरकर कर्क लगा दें। इसे ढाई तोला तक शीतल जल मिलाकर पीना चाहिए।
गुण - इससे ह्रदय की शक्ति बढती है, यकृत दोष दूर होता है तथा प्यास कम लगती है तथा प्यास कम लगती है व मन प्रसन्न रहता है।
६. एक सेर मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें पके हुए ताजे नींबुओं का रस आधा सेर मिलाकर उबालें। ठण्ड हो जाने पर बोतलों में भर लें। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और वात पित्त जनित उपद्रव भी अवश्य शतं होते हैं।
७. नींबू का लेमनेड - नींबुओं को छीलकर कांट लें और उनको आधा सेर खौलते जल में छोड़ दें। बिल्कुल शीतल हो जाने पर उसमें अंदाजा से मिश्री मिलाकर बोतलों में भर लें। इसके सेवन से घबराहट, प्यास, वमन, अन्तस्थ ज्वर तथा ग्रीष्म के अनेक रोग मिटते हैं।
८. शीतल जल एक पावं पीसी हुई सफेद खांड एक छंटाक और नींबू का रस छह माशा मिलाकर शरबत बना लें। यह रक्त शरबत बना लें। यह रक्तशोधक है। - श्री वैद्य गेबीअली पाठक
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