माता पिता का घर छोड़कर बहू बनकर पति का साथ निभाना और नए घर में कदम रखकर सभी को प्रसन्न रखना कोई मुश्किल काम नहीं है। यह बहू पर निर्भर करता है कि वह इस काम को किस तरह अंजाम देती है।
अजनबी लोगों के बीच बहू को अपने छिपे गुणों को उजागर करने का मौका मिलता है। उसे परिवार के सदस्यों के मन जीत लेने की चुनौती मिली है। जाहिर है बहू के मन में भय, घबराहट और बेचैनी बनी रहती है। होने वाले पति को लेकर बहूं के मन में उत्सुकता बनी रहती है। बिना किसी पूर्व परिचय के पति के साथ जीवन भर साथ निभाना पड़ेगा लेकिन इसकी शुरआत उसे इस ढंग से से करनी होगी, सभी उसकी तारीफ करनी शुरू कर दें। बहू अपना जादू चला सकती है इसके लिए उसको अपनी वाणी को मधुर रखना होगा। बातचीत का अंदाज ही यह तय कर देता है कि बहू मृदुभाषी है। तेज आवाज में बात करने से उसकी छवि बिगड़ने का खतरा है। यह सही है कि बातचीत में झिझक होना स्वाभाविक है लेकिन एक सप्ताह के भीतर ही वह ननद-भौजाई-देवर, सास-ससुर का मन मोह लेती है।
Motivational Speech on Vedas in Hindi by Dr. Sanjay Dev
वेद कथा - 87 | Explanation of Vedas | वेद के चार काण्ड हैं।
कई आदतों जो मायके में बन चुकी थी उनको छोड़ना जरूरी है सुबह आठ बजे बिस्तर छोड़ना दोपहर में दो तीन घंटे लगातार सोना और हमेशा चेहरा संवारने के लिए आईने के सामने खड़ा रहना। नयी बहू के प्रति सभी की उत्सुकता बनी रहती है, कोई बहू को देखने आ रहा है पता चला बहू सो रही है, ऐसी स्थिति से बचना चाहिए।
बहू स्वादिष्ट व्यंजन बना कर लोगों को खुश कर सकती है। उसकी अंगुलियों के जादू से सब सम्मोहित हो सकते हैं। भरवां भिंडी तो लाजवाब बनी है क्या बढ़िया मसाला है, तो रोज नए व्यंजन परोसने से बहू की जो तस्वीर घर में बनेगी उसका काफी बढ़ा हिस्सा व्यंजन कला से हासिल हो जाएगा।
पति को लेकर नयी बहू को कोई शंका नहीं करनी चाहिए। पति को अपनी बातों से अपनी अदाओं से अपनी मुस्कान से पति का दिल जीता जा सकता है। पति के दफ्तर से लौटने के टाइम को लेकर बहस न करना बहू के लिए बेहतर होगा। शादी हो गयी तो दफ्तर से जल्दी नहीं लौट सकता। एक बात और पति भी बीवी से पहली बार मिल रहा है। उसके मन भी बीवी को लेकर भय, घबराहट और शर्म छायी हुई हैं इसका समाधान आपसी सहयोग, सामंजस्य और प्यार पर निर्भर है। बहू को जादू से सभी का दिल जीत लेना चाहिए। - साप्ताहिक आर्य सन्देश