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अयोध्या की राम जन्मभूमि के लिए ऐतिहासिक निर्णय

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श्रीराम की जन्मभूमि के विषय में पिछले ४ सौ वर्षों से झगड़ा चल रहा था जब बादशाह औरंगजेब ने अयोध्या क्षेत्र के मुस्लिम शासक ने श्री रामचंद्र जी के भव्य मंदिर को तोड़वकार वहां बाबरी मस्जिद बनवा दी थी। तभी से इस देश के हिन्दू श्री रामचन्द्र जी की जन्मभूमि को वापिस लेने का यत्न करते रहे, इसके लिए समय-समय पर संघर्ष करते रहे मुस्लमान बादशाहों ने इस मस्जिद की रक्षा करने की कोशिश की अयोध्याअयोध्या की राम जन्मभूमि के लिए पाँच परमेश्वर का ऐतिहासिक निर्णय ||

श्रीराम की जन्मभूमि के विषय में पिछले ४ सौ वर्षों से झगड़ा चल रहा था जब बादशाह औरंगजेब ने अयोध्या क्षेत्र के मुस्लिम शासक ने श्री रामचंद्र जी के भव्य मंदिर को तोड़वकार वहां बाबरी मस्जिद बनवा दी थी। तभी से इस देश के हिन्दू श्री रामचन्द्र जी की जन्मभूमि को वापिस लेने का यत्न करते रहे, इसके लिए समय-समय पर संघर्ष करते रहे मुस्लमान बादशाहों ने इस मस्जिद की रक्षा करने की कोशिश की अयोध्या की इस लड़ाई में अब रक् हजारों हिन्दुओं का बलिदान हुआ!

सिक्खों के अंतिम दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने भी अपने सैनिक वहाँ भेजे थे। उन सैनिकों ने बह अपना बलिदान राम मंदिर की रक्ष एके लिए किया। राम मंदिर पर अधिकार का यह विवाद ४ सौ वर्ष पुराना है परन्तु १ सौ उनत्तीस वर्ष से इस स्थान पर अधिक विवाद रहा।

छत्तीसगढ़ के पुरातत्वविद् ने खोजे थे, राम मंदिर के ८४ खम्बे अयोध्या के विवादित ढाँचे को लेकर सुर्प्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में छ.ग. के पुरातत्वविद् अरुण कुमार शर्मा की बड़ी भूमिका रही है। वर्ष १९८२ में अरुण कुमार शर्मा ने अपनी टीम के साथ अयोध्या के विवादित ढाँचे की छः माह तक खुदाई की और उस रिपोर्ट ने शाबित किया कि वहाँ मंदिर के ही अवशेष हैं।

१२९ साल की क़ानूनी जंग लम्बा इंतजार और लम्बी बहस का शनिवार को आखिरकार अन्त हो गया। ची जस्टिस समेत पाँचों जजो की संविधान पीठ ने देश के सबसे बड़े अयोध्या की विवादित जमीन पर फैसला सुनाया। सुर्पीम कोट के आदेश के मुलाबिक विवादित स्थल पर राममंदिर ही बनेगा। दूसरे पक्षकार सूत्री मुस्लिम वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अयोध्या में कही और पाँच एकड़ जमीन दी जाएगी। देश दुनिया की निगाहें इस फैसले पर टिकी रही। सबसे खास बात यह रही कि फैसले को लगभग सबने स्वीकारा और देश में भाईचारे की मिसाल पेश की।

इस विवाद को सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट के ये पाँच जज थे। इनमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश श्री सी. जे. आई. रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए.बो. बड़े जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस, एस. अब्दुल नजीर थे।

हमारे देश के सुर्पीम कोर्ट के ये पाँचों जज अलग-अलग मत या समप्रदाय को मनाने वाले है परन्तु निर्णय करते समय ये जज बिना पक्ष पात के निर्णय करते हैं। अयोध्याके राम मंदिर विवाद से यह बात स्पष्ट हो गयी। देश की सबसे बड़ी महत्व पूर्ण समस्याओं में अयोध्या में राममंदिर बनाने की समस्या भी सैकड़ों वर्षों से उलझी हुई थी।

परन्तु हमारे देश का यह सौभाग्य है कि इस समय हमारे देश को एक देश भक्त भारतीय संस्कृति प्रेमी सूझ-बुझ के धनी श्री नरेंद्र मोदी है इन्होंने गत ५-६ वर्षों में देश की अनेक समस्याओं को सुलझाया है जैसे मुस्लमानों का तीन तलाक, काश्मीर पर पाकिस्तान का अपना अधिकार बताना एवं काश्मीर को विवादिक क्षेत्र बनाए रखना। परन्तु मोदी जी ने बहुत काम अल्प समय में काश्मीर की समस्या का भी बहुत कुछ समाधान हो गया।

सदा वातावरण को ख़राब रखने वाले पाकिस्तान से पैसा लेकर कश्मीर के युवकों का भड़काने वाले सैकड़ों राजनेताओं को कश्मीर से निकल कर उत्तर प्रदेश की अलग-अलग जेलों में रक् दिया है। अतःअब कश्मीर में प्रायः पूर्णतः शान्ति है। पाकिस्तान अब भी कभी-कभी सिमा पर अपने सैनिको को सादी वेशभूषा में भी कर घुसपैठ कराने का यत्न करता है। परन्तु सावधान भारतीय सैनिक उनको ठिकाने लगा देते हैं। अब अन्य प्रांतों की तरह काश्मीर भी इस देश का एक प्रान्त है वहाँ भी भारत का संविधान पूर्णतया लागू होता है अब काश्मीर में भी सब ओर तिरंगा झण्डा लहरा रहा है।

इस ९ नवम्बर को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर अयोध्या के विवाद को भी सदा के लिए समाप्त कर दिया है इसका उल्लेख ऊपर किया जा चूका है। अतः अयोध्यामें भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी का भव्य मंदिर बनेगा।

परन्तु यह बहुत ही अच्छा होता कि मंदिर के स्थान पर श्री राम का भव्य स्मारक बनाया जाता, उस स्मारक में वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्री राम जी की जीवन की मुख्य घटनाओं को दिखाया जाये। यह कार्य कहीं मूर्तियों के माध्यम से तो कहीं चित्रों के माध्यम से किया जा सकता है। आशा है कुलभूमि के सभी पाठक मेरे इस लेख पर गंभीरता पूर्वक विचार करेंगे तथा अपने सुझाव भारत सरकार को भेजेंगे।