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पाश्‍चात्य विद्वानों की दृष्टि में वेदों का महत्व 1

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vedo ka mahatva

14 जुलाई 1884 को पेरिस में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय साहित्य संघ (International Literary Association) के समक्ष निबन्ध पढ़ते हुए फ्रांसदेशीय विद्वान् लेओ देल्बो (Mons. Leon Delbos) ने कहा था- The Rigveda is the most sublime conception of the great highways of humanity. (हरबिलास शारदा लिखित Hindu Superiority. पृ.171 से उद्धृत) ऋग्वेद मनुष्यमात्र की उच्चतम प्रगति और आदर्श की उच्चतम कल्पना है।

उबिनगन विश्‍वविद्यालय के प्रो. पाल थीमा ने 26वीं अन्तरराष्ट्रीय प्राच्य सभा (26th International Congress of Orientallists) में अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था- The Vedas are noble documents---documetns not only of value and pride to India but to the entire humanity because in them we see man attempting to lift himself above the earthly existence. (Hindustan Times, 6th January 1964)

वेद से पवित्र ग्रन्थ हैं जो न केवल भारतवर्ष के लिए अपितु समस्त संसार के लिए मूल्यवान् हैं। क्योंकि हम उनमें मनुष्य को सांसारिकता से ऊपर उठने (मोक्ष प्राप्त करने) का यत्न करते हुए पाते हैं। प्रसिद्ध आइरिश कवि और दार्शनिक डॉ. जेम्स क्युजन अपनी पुस्तक Path to peace (शान्ति का मार्ग) में लिखते हैं- On that (Vedic) ideal alone, with its inclusiveness which absorbs and annihilates the causes of antogonisms, its sympathy which wins hatred away from itself, it is possible to rear a new earth in the image and likeness of the eternal heavens. (Path to Peace by Dr. James Cousins) उस वैदिक आदर्श का अनुकरण करते हुए ही, जो सार्वभौम होने के कारण विरोध के कारणों को नष्ट करता है, जो सहानुभूति से घृणा को जीत लेता है, यह सम्भव है कि पृथिवी को पुनः स्वर्गधाम बनाया जा सके। थ्योरो नामक अमेरिकन विद्वान् के मुख से वेद की महिमा इन शब्दों में निस्सरित हुई थी-
What extracts from the Vedas I have read fall on me like the light of a higher and purer luminary which describes loftier course through a purer stratum, free from particulars, simple, universal, the Vedas contain a sensible account of God. (स्वामी ओंकार लिखित Mother America) मैंने वेदों के जो उद्धरण पढ़े हैं, वे मुझ पर एक उच्च, पवित्र प्रकाशपुञ्ज की भाँति पड़े हैं। वेद एक उत्कृष्ट मार्ग का वर्णन करते हैं। वेदों के उपदेश सरल, सार्वभौम हैं और जाति तथा देश के इतिहास से रहित हैं। उनमें ईश्‍वर-विषयक युक्तियुक्त विचार हैं।

श्री डब्ल्यू.डी. ब्राऊन (W.D. Brown) महोदय ने वैदिक धर्म के विषय में निम्न उद्गार व्यक्त किये हैं- It (Vedic Religion) recoginises but one God. It is
a thoroughly scientific religion, where religion and science meet hand in hand. Here theology is based upon science and philosophy.
(The Superiority of the Vedic Religion) वैदिकधर्म केवल एक ईश्‍वर का प्रतिपादन करता है। यह एक पूर्णतया वैज्ञानिक धर्म है, जहाँ धर्म और विज्ञान साथ-साथ चलते हैं। वेदों के धार्मिक सिद्धान्त विज्ञान और दर्शन पर आधारित हैं। वेदों में वैज्ञानिक आविष्कारों की सत्ता स्वीकार करते हुए अमरीकी महिला ह्वीलर विलौक्स ने लिखा-
We have all heard and read about the ancient religion of India. It is the land of the great Vedas, the most remarkable works containing
not only religious ideas for a perfect life, but also facts which all the science has since proved true. Electricity, Radium, Electrons, Airships all seem to be known to the seers who found the Vedas. (Sublimity of the Vedas P. 83)

हमने प्राचीन भारत के धर्म के विषय में पढ़ा और सुना है। यह महान् वेदों की भूमि है जो अत्यद्भूत ग्रन्थ हैं। इनमें न केवल जीवनोपयोगी धार्मिक तत्वों का ही वर्णन है, अपितु उन तथ्यों का भी प्रतिपादन है, जिन्हें विज्ञान ने सत्य सिद्ध किया है। विद्युत, रेडियम, एलक्ट्रोन्स तथा विमान आदि सभी वस्तुएँ वेदों के द्रष्टा ऋषियों को ज्ञात प्रतीत होती हैं। (जारी) - स्वामी जगदीश्‍वरानन्द सरस्वती

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