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नववर्ष अभिनन्दन

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नया साल हो ऐसा अबके, रंग भरे जीवन में सबके।
सूरज घर-घर धूप बिखेरे, चाँद संवारे सबके अन्धेरे॥
खेतों में फसलें लहलहाएं, नदियाँ सबकी प्यास बुझाएं।
उड़ें कबूतर खुली हवा में, नाचें झमझम मोर घटा में॥
चाँदी पायल बनके चमके, सोना झूमर बनके दमके।
जुड़े रहें रिश्तों से रिश्ते, जुदा न हों भाई से भाई॥
नया साल हो सबको मुबारक, नये साल की सबको बधाई॥

नये वर्ष का स्वागत-अभिनन्दन। उमंग लिये, उल्लास लिये, खुशियों की सौगात लिये, उम्मीदें-आशाएं लिये, अपने में सपनों का संसार संजोए नया वर्ष आ गया। आओ! हृदय की गहराइयों से इसका स्वागत करें। एक वर्ष बीत गया अर्थात् 2075 विक्रमी संवत्। कुछ खट्टी, कुछ मीठी यादें, कुछ अनसुलझे सवाल, कुछ सम्भावनाएं दे गया। गत वर्ष में बहुत कुछ पाया भी, बहुत कुछ खोया भी। यही तथ्य जीवन का क्रम है, प्रकृति का नियम है। एक कटु सत्य है। आइए! गत वर्ष की चुनौतियों को स्वीकार कर बहुत ही आत्मविश्‍वास व हिम्मत के साथ उनका सामना करें व समस्याओं के समाधान ढूंढें।

जगती तल से मिट जाएं सारे ही व्यवधान
आओ, हम सब मिलकर ढूंढें ऐसे समाधान॥

हमारा राष्ट्र एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। आजादी के बाद इन 72 सालों में हमारे देश ने वैज्ञानिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, तकनीकी, उद्योग-धन्धे आदि प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति के शिखर को छुआ है। हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। प्रत्येक वर्ष हम उन्नति के शिखर पर सीढी दर सीढी चढ़ते चले जा रहे हैं। और ये सब हम भारतवासियों की प्रतिभा, लगन व मेहनत का परिणाम है। हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता व सम्प्रदाय निरपेक्षता हम भारतवासियों में उत्साह बनाए रखती है। यही कारण है कि कितने ही संकट आए, कितनी ही विपदाएं आई, हमने हौंसले के साथ उनका मुकाबला किया।

पूरे विश्‍व में भारत ही एक ऐसा देश है, जहाँ महिलाओं को पूर्ण सम्मान मिलता है। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं को शैक्षणिक, सामाजिक, औद्योगिक, राजनैतिक, धार्मिक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखाने के सुनहरे अवसर प्राप्त हुए हैं। अब नारी सिर्फ चौके चूल्हे तक सीमित नहीं रही है, बल्कि बाहरी दुनियाँ में भी उसने अपनी एक विशेष पहचान बना ली है। ये सब महिलाओं के प्रति सकारात्मक सोच का ही नतीजा है।

हमारा देश कृषि-प्रधान देश है। देश की आबादी का ज्यादातर हिस्सा गाँवों में बसता है। अब तो सुदूर गाँव-गाँव तक बालिकाओं के लिये शिक्षा के साधन पहुँच चुके हैं। युवाओं के लिये नये-नये रोजगार के अवसर उपलब्ध होने लगे हैं। हमारा देश और नई-नई उपलब्धियों के लिये संघर्षरत है। हमारे देश में कई सम्भावनाएं हैं। इसी बात से इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है कि कई शक्तिशाली राष्ट्र भी भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं। ‘अनेकता में एकता’ हमारी विशेषता है। यहाँ अनेक सम्प्रदाय व जातियाँ तथा भाषाएं हैं। भारतवासियों में एकता, भाईचारा, सद्भावना, संस्कार जैसे गुण विद्यमान हैं। इन्हीं नैतिक व चारित्रिक गुणों के कारण हम भारतवासी बड़े से बड़े हादसों का मुकाबला एकजुट होकर करते हैं। यहाँ की युवाशक्ति में जोश है, उमंग है, कुछ करने का जज्बा है। शिक्षा का क्षेत्र हो या खेल का मैदान हर जगह इन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया है।

विश्‍वगुरु हमारा देश विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। यहाँ प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार हैं। यह सब होते हुए भी इस बात का दुःख अवश्य है कि इस भौतिकवादी युग में मनुष्य कहीं मशीन बनकर न रह जाए। आज आपसी प्रेमभाव, स्नेह, रिश्तों में मधुरता ये सब बातें औपचारिक रह गए हैं। प्रत्येक मनुष्य को स्वार्थ व अहम् त्याग कर सकारात्मक सोच को मान्यता देनी होगी।

गत वर्ष जो कुछ भी अप्रिय घटा उस सबसे सबक लेकर हमें आगे बढ़ना है। जीवन एक चुनौती है। चुनौतियों का डटकर मुकाबला करें। ये तभी सम्भव है जब प्रत्येक मनुष्य में नैतिकता, चारित्रिक गुण, सदाचार, स्नेह व भाईचारे की भावना हो, क्योंकि किसी महान लेखक ने कहा भी है कि “चरित्रवान्, सदाचारी व आत्मविश्‍वासी लोगों का देश कभी नहीं मरता।’’

इस एक अरब से भी ज्यादा आबादी वाले देश में अभी भी कई समस्याएं हैं। उनके समाधान ढूंढने के प्रयास करना है। जन-जन को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, रोजगार मिले। अत्याचार, भ्रष्टाचार, शोषण समाप्त हो। खूब धनधान्य हो, उद्योग-धन्धे पनपें। सभी भारतवासियों में एकता, भाईचारा, सद्भावना हो। आज की युवापीढ़ी संस्कारवान बने। वृद्धों का और महिलाओं का सम्मान हो। बालिकाओं व युवाओं को उज्ज्वल भविष्य के लिये अच्छे अवसर मिलें। पशु-पक्षियों व वृक्षों को संरक्षण मिले और हमारा देश प्रगति के शिखर पर पहुँचे।

जन-जन के कण्ठों से निकलें खुशहाली के गान।
जन-जन के अधरों पे हो प्यारी सी मुस्कान॥
जन-जन को मिले रोटी,कपड़ा और मकान।
ऐसा प्यारा-प्यारा हो मेरा हिन्दुस्तान॥

इन्हीं मंगल कामनाओं के साथ पुनः सभी को नववर्ष की बधाई व शुभकामनाएँ! - सन्तोष शर्मा

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