विशेष :

मतदाता अपनी जिम्मेदारी को पहचानें

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जैसा कि सर्वविदित है कि 17 वीं लोकसभा के चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई 2019 तक सम्पन्न होने जा रहे हैं। वर्तमान परिस्थितियों में इस महान देश की पावन भूमि को आतंकवाद, नक्सलवाद, अनैतिकता से मुक्ति दिलाने के लिए, गो हत्या बंदी के लिए तथा अहिंसक स्वराज्य की स्थापना के लिए ऐसे प्रत्याशी को ही वोट देना है जो नैतिक एवं शिक्षित हो और भ्रष्टाचार व अनाचार आदि के उन्मूलन के लिए कृत संकल्प हो। मतदाता अपने दायित्व को पहचानें तथा धन, पद, जाति, सम्प्रदाय के प्रलोभन में न आकर सच्चे ईमानदार, चरित्रवान एवं सेवाभावी उम्मीदवार को ही वोट देवें।

आपराधिक तथा भ्रष्टाचारी लोगों को वोट देकर सांसद नहीं चुनें। अनेक क्षेत्रीय राजनैतिक दलों द्वारा गठबन्धन करके सत्ता में आने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। इनके लुभावने वादों से मतदाताओं को भ्रमित नहीं होना चाहिए। जैसा कि हम जानते हैं कि पिछले कई दशकों से देश के मतदाताओं को वोटों की स्वार्थपूर्ण राजनीति के तहत क्षेत्र, जाति, अल्पसंख्यक एवं बहुसंख्यक में विभाजित करने से खण्डित जनादेश मिला, जिससे गठबन्धन सरकारें बनी जो राष्ट्रहित में महत्त्वपूर्ण कार्य करने में सफल नहीं हो सकी तथा केवल महंगाई, भ्रष्टाचार बढा है। लोकसभा का कार्य भी सुचारू रूप से सम्पन्न नहीं हो रहा है। अतः इस बार चुनाव में राष्ट्र हितैषी स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति ही सत्ता में आवें, इसके लिए सभी सन्त महात्माओं, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों को अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए, जिससे विभाजनकारी नीतियाँ जो राष्ट्रीय सुरक्षा एवं एकता के लिए खतरा बन चुकी हैं उन्हें समाप्त किया जा सके।

अब देश के नागरिक अच्छी तरह समझ चुके हैं कि सभी राजनैतिक पार्टियाँ, पार्टी फण्ड के नाम पर हजारों करोड़ों रूपये दलालों, कमीशन तथा घोटाले के जरिये जमा कर रही हैं। देश की राजनीति काले धन से संचालित हो रही है। कर द्वारा वसूले गये जनता के पैसे को विकास कार्यों पर खर्च करने के बजाए मुफ्त उपहार बांटने, गरीबों के नाम पर लोक लुभावन योजनाएँ चलाने, जनता को भिखारी व अकर्मण्य बनाने, वोट खरीदने, सत्ता साम्राज्य का विस्तार करने के लिए खर्च किया जा रहा है। आतंकियों एवं नक्सलियों के द्वारा प्रतिदिन नर संहार किया जा रहा है, सेना के अनेकों जवान शहीद हो रहे हैं। राजनैतिक व प्रशासनिक भ्रष्टाचार एवं महंगाई से आम आदमी परेशान है। गरीबी, भूखमरी, असुरक्षा, कुपोषण से लाखों आदमी मौत के शिकार हो रहे हैं। राजनैतिक दल चंदे के लालच में अनेक अपराधियों एवं करोड़पतियों को अपना उम्मीदवार बनाते हैं वो जीतने के पश्‍चात जितना उन्होंने खर्च किया उससे अधिक धनोपार्जन करने के लिए अनैतिक तरीके अपनाते हैं। एक सर्वे के अनुसार देश की विधान सभाओं तथा लोकसभा में एक तिहाई से अधिक अपराधी जन प्रतिनिधि मौजूद हैं। ऐसे अपराधी सांसदों के कारण भारतीय लोकतन्त्र बदनाम हो रहा है तथा नयी-नयी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। इसलिए ऐसे प्रत्याशी को अपना वोट नहीं देवे। ऐसे राजनैतिक दलों के प्रत्याशी को भी वोट नहीं देवें, जो अपने घोषणा पत्र द्वारा झूठे वादे करते हैं।

इसलिए अब समय आ गया है कि लोकतन्त्र की रक्षा व पारदर्शिता लाने के लिए सभी जन संगठनों, सामाजिक संगठनों को एकजुट होकर सच्चे राष्ट्र हितैषी नेताओं को ही सत्ता सौंपने का प्रचार करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्त्ताओं को घर-घर जाकर अपने क्षेत्र में मतदाताओं को जगाना होगा, ताकि स्वच्छ छवि वाले सेवाभावी उम्मीदवार ही सत्ता में आ सकें। अधिकांश मतदाता कोउ नृप होय हमें क्या हानि यह सोचकर अपने अमूल्य वोट का उपयोग तक नहीं करते। वास्तव में यह सोच सही नहीं है। क्योंकि वोट नहीं देना अपने मौलिक अधिकार की अवहेलना करना तथा अपने दायित्व से पीछे हटना है। प्रत्येक मतदाता को अपना कर्त्तव्य समझकर सुशासन की स्थापना हेतु, सीमा की सुरक्षा हेतु, आतंकवाद समाप्त करने हेतु, गौरक्षा हेतु, भ्रष्टाचार तथा अनाचार मिटाने हेतु सही उम्मीदवार को ही वोट देने का संकल्प करना चाहिए एवं वोट जरूर देना चाहिए। यदि इस बार आपने सोच समझकर विवेक व बुद्धि से उचित प्रत्याशी को अपना मत नहीं दिया तो फिर पछताने के अलावा कुछ भी हाथ नहीं आयेगा। - कृष्णचन्द्र टवाणी

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