विशेष :

क्या भारत कभी समृद्ध नहीं रहा ?

User Rating: 5 / 5

Star ActiveStar ActiveStar ActiveStar ActiveStar Active
 

bharatकवि कथन है कि- “डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वह भारत देश है मेरा।’’ इस कथन पर नकारात्मक विचार प्रकट करते हुए भारत के वर्तमान वित्तमंत्री श्री चिदंबरम् ने कहा है कि भारत कभी भी समृद्ध नहीं रहा। वित्तमंत्री महोदय के इस कथन पर वैचारिक लहर का उठ पड़ना स्वाभाविक है । भारत के प्रबुद्ध वर्ग से इस संदर्भ में तथ्यात्मक उत्तर अपेक्षित है । भगवती महालक्ष्मी की पूजा-उपासना के पावन पर्व दीपावली के अवसर पर उपर्युक्त प्रश्‍न का उत्तर जानना अधिक महत्वपूर्ण है । कुछ ऐतिहासिक तथ्य जो उपलब्ध हैं, क्या उनका उत्तर दिया जा सकता है ? यूरोपीय देशों के सौदागर बहुत बड़े-बड़े कष्ट उठाकर भी, खुश्की मार्ग से भारत क्यों आते थे और वे यहाँ से लौटकर अपने देश को क्या ले जाते थे ?

भारत-यूरोप के मध्य बसे बर्बर लुटेरे उन सौदागरों से क्या लूट लेते थे ? इन लुटेरों से बचने के लिए तथा भारत की अटूट सम्पत्ति का दोहन करने के उद्देश्य से इन्होंने समुद्री मार्ग की खोज की । उस लम्बे तथा खतरनाक समुद्री मार्ग से यहाँ क्यों आते रहे? मुहम्मद गजनवी ने भारत पर इक्कीस बार हमला क्यों किया? वह यहाँ से क्या लूटकर ले गया था ? उसका बावीसवाँ हमला गुजरात के सोमनाथ मंदिर पर हुआ था । यहाँ से वह इक्कावन ऊँटों पर लादकर क्या ले गया था? यदि भारत समृद्ध नहीं था, तो पुर्तगाल, फ्रान्स, जर्मन, इंग्लैंड के सौदागर यहाँ क्या करने आए थे? वे यहाँ अपने पैर क्यों जमाना चाहते थे?

कोहिनूर क्या काँच का टुकड़ा है? इसे अंग्रेज अपने साथ क्या खेलने के लिए ले गए थे? कोहिनूर को इंग्लैंड की महारानी के ताज में अलंकृत क्यों किया गया? यूरोपीय देशों की समृद्धि में क्या भारत का कुछ भी योगदान नहीं है? भारतीय जनमानस में भारत के अतीत को लेकर जो चित्र हैं, वे स्पष्ट तौर पर बतलाते हैं कि भारत का अतीत सभी दृष्टि से समृद्ध रहा है । कवि कथन है- फैला यहीं से ज्ञान का आलोक सब संसार में। भारत का अतीत वैभव सम्पन्न रहा है । इतना वैभव कि हमने कभी भी अन्य देशों की ओर ललचाई दृष्टि से नहीं देखा और न किसी का धन-वैभव, छीनने-झपटने के लिए अन्य देशों पर आक्रमण ही किया । हम अपने आपमें इतने वैभव सम्पन्न थे कि विश्‍व के लोग हमारी और ललचाई दृष्टि से ताकते थे और छीनने-झपटने के लिए आक्रमण करते रहे हैं । उनके ये आक्रमण ही सिद्ध करते हैं कि भारत अतीत में समृद्ध रहा है ।

आजादी से पूर्व की हमारी गरीबी लम्बी गुलामी का ही परिणाम रही है । इतनी अधिक लूट के बाद भी हम पर प्रकृति का वरदान बना रहा । षट् ऋतुओं का यह देश सदैव समृद्ध रहा है और है। जो कुछ गरीबी दिखलाई देती है, वह शोषण-उत्पीडन एवं अनुचित वितरण प्रणाली का दोष है। हमारी समृद्धि विदेशियों द्वारा हमारी की गई लूट की साक्षी है, जो उनके द्वारा उन्हीं शोषक देशों के समक्ष खुले रूप में रखी जा रही है। वर्तमान वित्त मंत्री महोदय अतीत की आलोचना सम्भवत: इस लिए कर रहे हैं कि भारत को समृद्ध बनाने का श्रेय एकमात्र उन्हें ही मिले। उनके इस कथन को भारतीय जनमानस ने गंभीरता से नहीं लिया। वे तो अपने कथन से उपहास के पात्र बनकर रह गए हैं।

भारत को तो भगवती लक्ष्मी का वरदान प्राप्त है। यहाँ की उपजाऊ भूमि और ऋतुचक्र प्रकृति की अनुपम देन हैं। इस देन का वितरण तो वर्तमान सत्ताधीशों पर निर्भर है। बेरोजगारी,गरीबी, भुखमरी, उत्पीड़न, गरीबी की रेखा के नीचे जीवन बसर करनेवालों की भीड़ अक्षम व अकुशल शासन-व्यवस्था का परिणाम है । ये तो सामान्य से तथ्य है । भारतीय इतिहास और यहाँ का जनमानस अपने में अनंत प्रमाण समेटे हुए हैं ।• - जगदीश दुर्गेश जोशी

If Not, Then the Country will be Disintegrated | Independence | Anti-national | RSS | Atal Bihari Bajpai | Lalkrishna Adwani | Jihadi | Muslim Leadership | Afzal Guru | Godhra Scandal | National Unity | Indian Culture | Ved | Vedic Motivational Speech in Hindi by Vaidik Motivational Speaker Acharya Dr. Sanjay Dev for Chanod - Parole - Moga | News Portal, Current Articles & Magazine Divyayug in Chapui - Partapur - Moonak | दिव्ययुग | दिव्य युग |