एक बहुत बड़े संत थे एकनाथ। सबसे प्यार से बोलते थे और जिसकी जो भी भलाई कर सकते, अवश्य करते थे। उनका एक नियम था- रोज सुबह गोदावरी स्नान का।
नदी के किनारे दुष्ट और ओछी मनोवृत्ति का एक आदमी रहा करता था। धर्म में एकनाथ की इतनी श्रद्धा देखकर वह चिढने लगा। एक दिन जब एकनाथ स्नान करके लौटने लगे, तो उसने उन पर कुल्ला कर दिया। एकनाथ मुस्कराये और फिर से स्नान कर आये। वह आदमी इससे और चिढ गया। फिर तो रोज का नियम बन गया कि जब एकनाथ स्नान करके लौटते, वह उन पर कुल्ला कर देता और संत मुस्कराकर पुन: स्नान कर आते।
एक दिन तो उसने हद कर दी। उसने 107 बार संत पर कुल्ला किया और हर बार वे मुस्कराकर स्नान कर आये। अन्त में 108 वीं बार कुल्ला करने पर भी संत एकनाथ मुस्कराते रहे तो उसे अपने आप पर बड़ी शर्म आई और एकनाथ के चरणों पर गिर पड़ा। उन्होंने उसे उठाकर गले लगा लिया और मुस्कराते हुए बोले- ‘भैया तुम तो बहुत अच्छे आदमी हो। तुम्हारे कारण रोज मुझे दो बार गोदावरी स्नान का पुण्य मिलता था, आज तो 108 बार मिला।’ - सत्यानन्द आर्य
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