विशेष :

गामा की सीख

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हिन्दू विश्‍वविद्यालय काशी में गामा पहलवान का सम्मान था। वहाँ एकत्र विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उद्घोषक ने कहा, “ प्रिय मित्रो ! हमारे बीच गामा पहलवान् पधार चुके हैं। उनके जीवन से सीख लेकर हमें भी गामा पहलवान जैसे बनना चाहिए..।’’

उस समय महामना मदनमोहन मालवीय जी के यश की सुगन्ध चारों ओर फैली हुई थी। जब कार्यक्रम में गामा पहलवान को बोलने के लिए कहा गया, तब उन्होंने कहा- “प्रिय विद्यार्थी मित्रो एवं शिक्षक बंधुओ ! मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ कि आप मेरे जैसे बनें जो दूसरों को गिराकर या पछाड़कर बड़ा बनता है। वास्तव में ऐसा व्यक्ति बड़ा नहीं है। बड़े तो पंडित मदनमोहन मालवीय हैं, जो दूसरों को उठाने में लगें हैं, फिर भी बड़ा बनने का दावा नहीं करते। आपको भी उनके जीवन से सीख लेकर सत्कर्म एवं सदाचार का जीवन जीना चाहिए। गामा पहलवान बनने में कोई सार नहीं है। सार तो है गिरे हुए को उठाने में । ऐसा करके मनुष्य अपना जीवन वास्तव में उन्नत कर सकता है।’’
25 दिसम्बर को महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय का जन्म दिवस है।• - सुखवीरसिंह दलाल

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