फरवरी 2013 का दिव्ययुग अंक पढ़ा। सम्पादकीय में आपने हिन्दुओं को जगाने का प्रयास किया है। जनसाधारण में सामाजिक एवं राजनैतिक जागृति की अपेक्षा अपने स्वार्थ के प्रति अधिक जागृति है। अगर वे जागृत एवं संगठित होते तो पाकिस्तान ही नहीं बनता। शासन पाकिस्तान एवं चीन के सम्बन्ध में दिवास्वप्न देखता है। हिन्दु एवं हिन्दुराष्ट्र के प्रति कांग्रेसी शासकों के मन में घृणा है। जब नेपाल नरेश (वीरेन्द्रसिंह) ने नेपाल को ‘हिन्दु राष्ट्र’ घोषित किया, तब इन्होंने नेपाल से मित्रता के सम्बन्ध जोड़े नहीं। जब चीन के माओवादी शासकों ने नेपाल को ध्वस्त किया और अपना स्वामित्व सिद्ध किया तो विरोध दर्शाने के लिए इनके पास शब्द नहीं थे क्योंकि नेपाल चीन का हिस्सा है यह स्वीकार किया गया था। शासन ही जाग्रत नहीं है। नहीं तो भारतीय सैनिक का सिर काटकर पाक सैनिकों ने अमानवीयता का जो प्रदर्शन किया, फिर भी 15 दिन के अन्दर सीमा पार बस सेवा बहाल की। बेशरमी की भी कुछ मर्यादा होती है।
निद्रित, असंगठित समाज ’सत्ता के लिए कुछ भी’ वाले राजनीति(अ)ज्ञों को पुनः सत्ता बहाल कर सो जायेगा। और ये सत्ताधारी अपना देश छोड़कर विदेश चले जायेंगे और भारतीय समाज को एफडीआई के सहारे फिर बेबस और गुलाम बनाकर अमन के दिन विदेश में काटेंगे। कितने लोग पढ़ते हैं, कितने सोचते हैं, कितने सक्रिय होते हैं, ये सवाल समाज के सदसद्विवेक की परीक्षा है।
मुझे पाठकों से विनती करना है- ‘जागो’ तथा संगठित होकर सक्रिय बनो और ऐसे अविवेकी सत्ताधारियों को सदा के लिए सत्ता से दूर रखो तो अपनी स्वाधीनता अबाधित रहेगी।
हिन्दु बन्धु एक रहें, औ’ राष्ट्र के लिए व्रत रखें,
तो हम स्वाधीन बनकर, हिन्दु राष्ट्र निर्माण कर सकें। - प्रभाकर कुलकर्णी, कोल्हापुर (महाराष्ट्र) (दिव्ययुग- अप्रैल 2013)
Motivational Speech on Vedas in Hindi by Dr. Sanjay Dev
Ved Katha Pravachan _23 | Explanation of Vedas & Dharma | जैसा बोओगे वैसा काटोगे