सफल और सार्थक जीवन की परिकल्पना भगवद्भक्ति से ही साकार हो सकता है। यही वह दिव्य प्रभा है, जो भौतिक सुख की अभिलिप्सा और अज्ञान रूपी अन्धकार में आकण्ठ डूबी मानव देह का यथार्थ से साक्षात्कार कराती है। ऐसे में भक्ति का श्रेष्ठ और सुलभ मार्ग क्या हो? यही ईश्वर प्राप्ति का एकमात्र विकल्प क्यों है? और इसे कैसे किया जाए? इन सारे प्रश्नों का समाधान ‘हनुमान चालीसा तत्व विवेचन’ में समाहित है।
विचारक, चिंतक, लेखक और शिक्षक प्रा. जगदीश जोशी की उक्त कृति भक्तशिरोमणि हनुमान की स्वामीभक्ति और भगवान श्रीराम के चरित्र चित्रण का मिश्रित सृजन है। रचनाकार ने हनुमान चालीसा की समस्त चालीस चौपाइयों का क्रमानुसार अर्थानुवाद कर चिरन्तन आनन्द और श्रेष्ठ उपासना के सारे सूत्र सामने रख दिए हैं। इसमें बजरंग बली की भावपूर्ण वन्दना तो है ही, श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है।
तत्वदर्शन के माध्यम से लेखक ने आध्यात्मिक के आलोक में जीवन के लक्ष्य और उन्हें पाने का मार्ग प्रशस्त किया है। हनुमान के आराधक और भक्ति को गहनता से समझने की इच्छा रखने वालों के लिए ‘हनुमान चालीसा तत्व विवेचन’ उपयोगी सिद्ध होगी। - प्रा. जगदीश दुर्गेश जोशी (दिव्ययुग- मार्च 2009)
Motivational Speech on Vedas in Hindi by Dr. Sanjay Dev
Ved Pravachan 46 | Explanation of Vedas | श्री और लक्ष्मी में अन्तर व लक्ष्मी का वाहन उल्लू क्यों