दीपक अपनी सीमाओं में रहते हुए अपने प्रकाश से घर को आलोकित करता है। प्रकाश घर का शृंगार है, परन्तु यही दीपक जब अमर्यादित हो जाता है, तो वह उसी घर को आग की लपटों में बदलकर उसे भस्म कर देता है। भारत हमारा घर है। हम भारतवासी उसमें जगमगाते हुए चिराग हैं। हम अपनी समर्पित साधनाओं के प्रकाश से इसे आलोकित करते हैं तथा आलोकित करते रहे हैं। उपलब्धियों का साक्षी इतिहास है। इस प्रकाश से हम न केवल अपना घर भारत बल्कि समूचे विश्व को प्रकाशित करते रहे हैं। ज्ञान-प्रकाश की देन से सम्पूर्ण विश्व हमारी गरिमा स्वीकार करता रहा है। परन्तु आज भारत के चिराग हमने अपनी मर्यादा का त्याग कर दिया है। आज हम निपट स्वार्थी बनकर केवल अपने ही लिए, अपने ऐश्वर्य के लिए ही जी रहे हैं और इसे ही हमने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। परिवार के लिए त्याग व समर्पण की भावना का सर्वथा लोप हो गया है। परिणामतः हम आज मर्यादाहीन होकर घर की खुशहाली की भावना छोड़कर अपने ही घर को जलाने वाले बन गए हैं। न हममें मातृसंस्कृति के प्रति निष्ठा है और न ही मातृभूमि के लिए सर्वस्व का न्यौछावर करने की उत्कट अभिलाषा। हम भूल गए उन बलिदानियों को जो मातृभूमि और मातृसंस्कृति के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर गए थे। वर्तमान में हमारे घोर पतन की काली पंक्तियाँ जो इतिहास में लिखी जा रही हैं, समाचार पत्रों की साक्षी में हमारे सामने है।
कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों की पाकिस्तानी सैनिकों पर हुई भारी विजय ने भारतीय जनमानस में गौरव के साथ सुरक्षा कवच के प्रति अटूट विश्वास को जन्म दिया। हमारे इस सुरक्षा कवच को पाकिस्तान भेदने में पूरी तरह असफल रहा। समुद्री सीमाओं के प्रति भी यही विश्वास बना रहा। भारतीय सुरक्षा व्यवस्था अत्यन्त सुदृढ़ है तथा गुप्तचर पूरी सावधानी से अपना कर्त्तव्य निभा रहे हैं। इन विश्वासों में जी रहे भारतीय जनमानस को उस समय गहरा झटका लगा, जब समाचार पत्रों में ये समाचार प्रकाशित हुए-
* पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के अपराध में भारतीय राजनायिक माधुरी गुप्ता पकड़ी गई।
* माधुरी गुप्ता के तार कई उच्चाधिकारियों से जुड़ते नजर आ रहे हैं।
* जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के एक दम्पती को भी शक के घेरे में लिया गया है।
* सेना के एक उच्च अधिकारी पर भी शक है।
* माधुरी गुप्ता ने बताया कि मेरे जैसे अन्य लोग भी इस कार्य में जुड़े हुए हैं।
* माधुरी गुप्ता को अपने इन राष्ट्रविरोधी कार्यों पर कोई मलाल नहीं है।
* माधुरी गुप्ता ने आई.एस.आई. को मुम्बई हमले के दस्तावेज दिए।
* माधुरी गुप्ता ने आज से छः वर्ष पूर्व इस्लाम कबूल कर लिया था।
* वह गुप्त बैठकों की जानकारी भी देती थी।
* भारत में पाक का जासूसी जाल फैल गया है।
* माधुरी जासूसी काण्ड एक विशाल नाटक का अंग है।
* देश की सुरक्षा से खिलवाड़। एक ही आय.एम.ई.आई. नम्बर से चला दिए 400 चाईना मोबाइल।
* ऐसे ही और भी अनेक उदाहरण हैं।
रक्षा, गृह तथा विदेश विभाग किसी भी देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें यदि माधुरी, शर्मा, सेना के उच्च अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, सैनिक आदि इन विभागों की गुप्त कार्यवाही की जानकारी दुश्मन देश को देकर अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हों तो वह देश सुरक्षित कैसे रह सकता है? आज यही दशा भारत की बना दी गई है, अपने ही देशवासियों के द्वारा। हमारी सुरक्षा खतरे में है। इन आधारों पर कहा जा सकता है कि ‘घर में लग गई आग, घर के चिराग से।’ अब प्रश्न है कि इस धधकती आग को कौन बुझा सकता है?
हम ही अपने घर में लगी इस आग को बुझाने के लिए उत्तरदायी हैं। स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर इसी उत्तरदायित्व का स्मरण अपेक्षित है। यह जवाबदारी हमें विरासत में प्राप्त है। यही ऋण हम पर है अमर शहीदों का और मातृभूमि का। आइए, हम सब मिलकर ध्वज वन्दन करें, सोचें और योजना बनाएं, इस कर्ज से उऋण होने की। न केवल कागजी योजना बनकर रह जाए, बल्कि देशभक्त व्यक्तियों को सुसंगठित करें, जो सरदार भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस आदि वन्दनीय क्रान्तिकारियों के समान भारत की रक्षा और राष्ट्रीय स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए तन, मन और लगन से समर्पित हों। प्रा. जगदीश दुर्गेश जोशी
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