विशेष :

स्वामी श्रद्धानन्द का साहस

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रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए दिल्ली में स्वामी श्रद्धानन्द के नेतृत्व में सत्याग्रह शुरु हुआ। यातायात रुक गया। स्वयंसेवक पुलिस द्वारा पकड़ लिए गये। भीड़ ने साथियों की रिहाई के लिए प्रार्थना की तो पुलिस ने गोलियाँ चला दीं। सायंकाल के समय बीस-पच्चीस हजार की भीड़ एक कतार में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाती हुई घंटाघर की ओर स्वामी जी के नेतृत्व में चल पड़ी। अचानक कम्पनी बाग के गोरखा फौज के किसी सैनिक ने गोली चला दी। जनता क्रोधित हो गई। लोगों को वहीं खड़े रहने का आदेश देकर स्वामी जी आगे जा खड़े हुए और गम्भीर वाणी में सैनिक से पूछा- ‘तुमने गोली क्यों चलाई ?’ सैनिक ने स्वामी जी की ओर निशाना साधते हुए कहा- ‘हट जाओ नहीं तो हम तुम्हें छेद देंगे। ’ स्वामी जी एक कदम और आगे बढ गये। बंदूक की नली स्वामी जी की छाती को छू रही थी। निर्भय स्वामी जी गरजते हुए बोले- “मेरी छाती खुली है, हिम्मत है तो चलाओ गोली।’’ भीड़ में सन्नाटा छा गया। अंग्रेज अधिकारी के आदेश से सैनिकों ने बंदूकें नीची की और विरोध जलूस आगे चल पड़ा।

23 दिसम्बर को स्वामी श्रद्धानन्द का बलिदान दिवस है।• - सुखवीरसिंह दलाल

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