कटिशूल (कमरदर्द) प्रायः स्त्रियों के प्रदर या बच्चेदानी में विकार के कारण कमर में असहनीय दर्द होता है। उसके निवारण के लिए निम्नलिखित प्रयोग लाभप्रद हैं।
लौहभस्म १२५ मि. ग्रा., वंग भस्म १२५ मि. ग्रा., मुक्ता शक्ति भस्म १२५ मि. ग्रा, राल चूर्ण ५०० मि. ग्रा. यह एक मात्रा है, ऐसी तीन मात्राएं प्रातः- दोपहर-शाम को शहद या जल के साथ लें। कमर दर्द निश्चित अच्छा होता है।
सफेद दाग : सुवर्ण मक्षिक भस्म - १२५ मि. ग्रा., वंग भस्म १२५ मि. ग्रा., आरोग्य वर्धिनी वटी २५० मि. ग्रा। सब दवा मिलाकर एक मात्रा बनायें। ऐसी एक मात्रा सुबह एक शाम खैर की छाल या आंवले के काढ़े से लेने से सब प्रकार के सफेद दाग, एग्जिमा एवं अन्य चर्म रोग अच्छे होते हैं। (१० ग्राम खैर की छाल या आंवले के चूर्ण को १०० मि. ग्रा. शेष छानकर शहद मिलाकर पीयें)।
सफेद दाग दूर करने वाला लेप - अनार के मुलायम पत्ते की लुगदी को दागों में उबटन की तरह नित्य लगायें, बड़ा लाभ होता है। सफेद चन्दन और वाकुचि बीजों को जल से पीसकर दागों में लगाने से भी शीघ्र लाभ होता है।
आमनाशक (पेचिस) चूर्ण - ३० ग्राम सौंफ, ५० ग्राम हरड़ छोटी, १० ग्राम एरण्ड तेल (केस्टर ऑइल) ।
एरण्ड तेल को कड़ाही में डालकर आग पर चढ़ा दें, फिर इसमें पहले हरड़ छोटी को भून ले उसके बाद सौंफ को डाल कर भून लें। दोनों को खरल में डालकर पीस लें। इस चूर्ण को ३ ग्राम की मात्रा में दिन भर में तीन बार जल से देने से सभी प्रकार की खुनी, सफेद, ऑव, पेट की पतले दस्त आदि अच्छे होते हैं। यह अपच की भी अच्छी दवा है।
पेचिस दूर करने वाला एक दूसरा लेप - १/२ ग्राम राल चूर्ण, १/२ ग्राम मिश्री, यह एक मात्रा है, ऐसी तीन मात्राएं (सुबह-दोपहर-शाम), जल से देने से ऑव के दस्त ठीक होते हैं।
गृधसी नाशक योग (सायटिका) - वातगंजाकुश रस १२५ मि.ग्राम, एकांगवीर रस १२५ मि.ग्राम, सुरज्जान मीठा २ ग्राम।
इस तरह की दो मात्रायें दिन में दो बार (सुबह-शाम) महारास्नादि व्कथ ४ चम्मच समान जल मिलाकर दें। गृधसी में १० पत्ती गुड़हल की २५० मि.ली. जल में पका कर जब चौथाई जल शेष रहे शहद मिलाकर पिलाने से भी शीघ्र लाभ होता है।
वेदनाहर वटी - १० ग्राम गोदन्ती भस्म, १० ग्राम श्रृंग भस्म, २० ग्राम स्फुटिका भस्म, २५ ग्राम सुवर्ण गैरिक। सबको जल के साथ घोट कर मटर के समान गोलियां बनायें। २-२ गोली दिन रात में -३-४ बार देने से सब प्रकार के दर्द अच्छे से होते हैं। गोली दूध, चाय या जल से दी जा सकती है।
अम्लता (एसिडिटी) योग - ५० ग्राम सौंफ बड़ी, ५० ग्राम जीरा सफेद, ५० ग्राम मिश्री। सबको कूट छानकर चूर्ण बनायें। इस चूर्ण की ३ ग्राम की मात्रा दिन में ३ बार लेने से अम्लता, अपच, उच्च रक्तचाप, सीने की जलन आदि रोग नष्ट होते हैं।
अम्लता (एसिडिटी) दूर करने वाला - पेय -१०० ग्राम कलमी सोरा, १०० ग्राम सेंधा नमक, ५० ग्राम नौसादर, ३ ग्राम इलायची छोटी के दाने, एक नींबू का रस। नींबू के रस को बड़ी बोतल में भर दें तथा सभी दवाओं के चूर्ण को उसमें मिलाकर कार्क बंद करके रख दें। २ से ४ चम्मच समान भाग जल मिलाकर देने से अपच, अजीर्ण, पेट का फूलना, गैस, अम्लता (एसिडिटी), पेट की पीड़ा अदि रोग नष्ट होते हैं।
गंजापन नाशक लेप - असमय सिर के बालों के गिरने पर निम्नलिखित लेप अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हुआ है। सफेद चन्दन को भृंगराज (भांगरा) के रस से घिसकर सिर में जहां के बाल गिर गए हैं, वहां लगायें तो बाल पुनः उत्पन्न होते हैं। गुड़हल के फूल या पत्ती की जल से पीसकर चार-पांच बार लगाने से भी जहां के बाल गिर गए हों, वहां फिर उग आते हैं।
एड़ी का दर्द - महावातविध्वंसक रस १ गोली, सिंह नाद गुग्गल २ गोली। यह एक खुराक है, ऐसी दो खुराक सुबह शाम चाय या गरम जल से लेते रहें - यदि इसे महारास्नादि व्काथ ४ चम्मच मिला लिया जाये तो शीघ्र लाभ होता है।
शीतपित्तहर - १ चम्मच अजवाइन, १२५ मि. ग्रा. रस सिंदूर ३ ग्राम गुड़। यह एक मात्रा है, ऐसी तीन मात्राएं (सबह-दोपहर-शाम) गरम जल से लेने से शीतपित्ती, एलर्जी, खुजली आदि में शीघ्र लाभ करता है।
खांसी में छाती से रक्त आने पर - नारियल के ऊपर से जटा उतारकर तवे पर डालकर इसकी भस्म बना लें। फिर पीसकर कपड़छान करके रख लें। मात्रा ४ रत्ती।
अनुपान - वासावलेह, वासा शर्बत, वासार्क अथवा वासापत्र स्वरस १ तोला, शहद ६ माशे, खांड १ तोला तीनों को मिलाकर इसके साथ औषधि देने से अच्छा कार्य करेगी। खांसी में रक्त आना, राजयक्ष्मा की खांसी एवं रक्तपित्त में तथा खांसी में कफ के साथ रक्त आने पर अनुभूत है।
इसका प्रातः सायकल प्रयोग करें। अधिक रक्त आने पर मध्यान्ह में भी सेवन करा सकते हैं। भोजन पथ्य से देवें। सुपाच्य चावल, गेहूं, मूंग, जौ इत्यादि देवें। - वैद्य ब्रजबिहारी मिश्र
वेद मंथन, लेखक - प्रा. भद्रसेन वेदाचार्य एवं संपादक - आचार्य डॉ. संजय देव (Ved Manthan, Writer- Professor Bhadrasen Vedacharya & Editor - Acharya Dr. Sanjay Dev) Motivational Speech on Vedas in Hindi by Dr. Sanjay Dev | घर की सुख और शांति के वैदिक उपाय | सफलता का विज्ञान | वेद कथा - 95 | श्रेष्ठ कर्मों से शरीर और मन की स्वस्थता | Explanation of Vedas | Ved Gyan Katha