विशेष :

दिनेश ‘दर्पण’

User Rating: 5 / 5

Star ActiveStar ActiveStar ActiveStar ActiveStar Active
 

श्री जवाहरलाल नेहरू चुनाव के सिलसिले में उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे थे। श्री लाल बहादुर शास्त्री भी उनके साथ थे। जब नेहरू जी मिर्जापुर पहुँचे, तो वहाँ उनका स्वागत करने के लिए बहुत से लोग उपस्थित थे। स्वागत सभा के अध्यक्ष ने नेहरू जी से लाउडस्पीकर और माइक की व्यवस्था न कर पाने के लिए के लिए क्षमा-याचना की और उनसे निवेदन किया कि वे बिना माइक के ही दो शब्द कहें।

नेहरू जी ने भाषण शुरू किया। उनकी आवाज भीड़ के पिछले हिस्से तक नहीं पहुँच पा रही थी। कुछ ही देर में लोग शोर मचाने लगे। अव्यवस्था को देखकर नेहरू जी ने भाषण देना बन्द कर दिया और शास्त्री जी के पास आकर बैठ गए।

“यहाँ के लोग मुझे मूर्ख नजर आते हैं। आपका क्या विचार है?’’ नेहरू जी ने शास्त्री जी से कहा।
“आपका विचार बिलकुल ठीक है। यहाँ मेरी ससुराल है।’’ शास्त्री जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया।

अपनी लम्बाई बहुत कम होने के कारण लालबहादुर शास्त्री प्रायः स्वयं पर ही हँसा करते थे और दूसरों को भी हँसाया करते थे। एक बार कानपुर की एक सभा में उनका भाषण था। संयोगवश उस सभा के अध्यक्ष की लम्बाई भी बहुत कम थी।

अध्यक्ष के बोलने के बाद जब शास्त्री जी भाषण देने के लिए माइक पर आए, तो मुस्कुराते हुए बोले- “मेरे जीवन का यह पहला मौका है, जबकि किसी सभा में मेरे लिए किसी माइक को नीचा नहीं करना पड़ा। इस बात से मुझे आज बड़ी प्रसन्नता हुई।’’

Lal Bahadur Shastri | Jawaharlal Nehru | Netaji Subhashchandra Bose | Hindustaan | National Freedom Agitation | Indian Nationalism | Maharshi Dayanand