बेल पवित्र पेड़ है और भगवान शंकर को इसके पत्ते (बेल पत्र) अत्यधिक श्रद्धा से अर्पित किए जाते हैं। बेल भारत में सभी स्थानों में पाया जाता है। इसका फल गोल, चिकना तथा ऊपर का कवच सख्त होता है। इसके अन्दर के गूदे में एक लेसदार चिपचिपा पदार्थ और बीज होते हैं, जो कि चारों तरफ से चिकने, लेसदार पदार्थ से घिरे होते हैं। बेल के फल में एक विलक्षण बात पाई जाती है। कहते हैं कि हाथी बेल के फल को समूचा ही निगल जाता है और बेल को बिना फोड़े गूदे को खाकर ही समस्त बेल के फल के ऊपरी सख्त भाग को मलद्वार से बाहर निकाल देता है।
औषधीय उपयोग के लिए अधपका ताजा फल बहुत हितकारी है। बहुत दिनों से रखे हुए फल या धूप में सुखाए गए फल के टुकड़े अपना औषधीय गुण बरकरार रखते हैं। कच्चे फल आंतों के बढ़े हुए स्राव को न्यून करते हैं। पका फल आंतों को हल्के से उत्तेजित करता है तथा मृदुविरेचक होता है। धूप में सूखे हुए फल के टुकड़े ज्यादा प्रभावकारी होते हैं। बेल पेट को साफ करने वाला फल है। कब्ज के रोगियों को इसका उपयोग अवश्य करना चाहिए। बेल के औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं-
1. कच्चे बेल का फल दस्त रोग दूर करता है। कच्चे फल के गूदे को भूनकर अथवा काढा बनाकर आंव-दस्त में देवें अथवा सौंफ तथा बेलगिरी (बेल के फल का गूदा) की बराबर-बराबर मात्रा को मिलाकर घी में भूनकर पीस लें। तत्पश्चात् उसके साथ जरा सी खाण्ड मिलाकर सुबह-शाम 9-9 ग्राम की मात्रा में सेवन करें, तो दस्त को फायदा पहुंचता है।
2. यदि गर्भिणी महिला को उल्टियाँ आती हैं, तो सौंठ और बिल्व (बेल) के काढ़े में जौ का सत्तू मिलाकर पिलाइए। उल्टियाँ बन्द हो जाएगी।
3. ताजा बेल के 5 पत्ते तथा 10 काली मिर्च दोनों को ठण्डाई की भांति घोटपीसकर छान लें। इसको पीने से मधुमेह का रोग समाप्त हो जाता है। साथ ही बेल के फल का रस नियमित सेवन करने से मधुमेह रोग में और शीघ्र आराम मिलता है।
4. पके बेल का गूदा पानी में उबालकर कुल्ले करने से गले के छाले दूर होते हैं।
5. तेज ज्वर में बेल की जड़ दूध में उबालकर रोगी को दें। ज्वर उतर जाएगा।
6. बेल पत्र के अर्क को विषैले कीट के काटने पर सूजे हुए भाग पर बार-बार लगाने से कष्ट में आराम मिलता है।
7. बेल पत्र के अर्क में रूई का टुकड़ा तर करके कहीं चोट लगने के कारण घाव बने हुए स्थान पर दिन में 2-3 बार नित्य रखने से घाव भर जाते हैं। पुनः इसके रस में शहद मिलाकर पीने से भी लाभ होता है।
8. पेचिश या आंव युक्त दस्त से छुटकारा पाने के लिए अधपके बेल के गूदे को पानी में उबालकर छान लें। इसमें शहद मिलाकर रोगी को देने से लाभ होगा।
9. ताजे बेल का गूदा आम पचाने के लिए सर्वोत्तम होता है।
10. बेल की ताजी पत्तियों को बगैर पानी के पीस लें। अब इसे गर्म करके टिकिया बना लें। इस गर्म-गर्म टिकिया को फोड़े पर बान्धते रहें। फोड़ा फूट जाने पर बेल की पत्तियों को पानी में उबालकर उसी पानी से फोड़े को धो डालें और फिर उस पर वही टिकिया गर्म-गर्म बान्धें। इसी के साथ-साथ यदि 5-6 चाय चम्मच बेल पत्रों का अर्क (काढ़ा) भी रोगी को दिन में दो बार पिलाया जाए तो घाव जल्दी भर जाएगा। - डॉ. हनुमान प्रसाद उत्तम
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