अर्थार्जन और ईमानदारी- जीवन निर्वाह का साधन, सुख-सुविधाओं का आधार और आज के समाज में सम्मान का एक बड़ा कारण होने से अर्थ का महत्त्व स्पष्ट है। प्रकृति से प्राप्त विविध प्रकार के पदार्थ व तत्त्व श्रम, ज्ञान और कला की साधना से ही व्यवहार के योग्य होते हैं। श्रम, ज्ञान और कला से इन तत्त्वों का उपयोग सैकड़ों गुणा बढ जाता है।
हर व्यक्ति का योगदान अलग-अलग प्रकार का होता है। अत: उसका पारिश्रमिक किस प्रकार से आंका जाए? कुछ आवश्यकता के अनुसार इसका निर्णय करना चाहते हैं, तो कुछ श्रम के अनुरूप विभाजन का विचार रखते हैं। पर यह तो सर्वथा स्पष्ट है कि कार्य की सिद्धि में अनेकों का योगदान होता है। अत: सिद्धि से प्राप्त फल में सभी का भाग है। हाँ, प्रत्येक को अपना कार्य ईमानदारी से करना चाहिए।
विद्यार्थी का विद्या अध्ययन और गृहिणी का गृहकार्य ही उनका अर्थार्जन है। आज का पढा हुआ ही कल के अर्थार्जन का कारण बनता है। गृहिणी का गृहकार्य उसकी एक महत्त्वपूर्ण आजीविका है। यह सत्य है कि आज की बदलती परिस्थितियों में नारी को आर्थिक स्वतन्त्रता मिलनी चाहिए। इसके साथ घर की व्यवस्था, सदस्यों का भोजन, वस्त्र, आवास, सुख-सुविधाओं का प्रबन्ध भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। वस्तुत: इन्हीं की पूर्ति के लिए धन कमाया जाता है। घरेलू कार्य करने पर ही होता है, इसके लिए किसी न किसी को श्रम करना ही होगा। जितनी सद्भावना, सहानुभूति, स्नेह से एक नारी गृह व्यवस्था करती है, उसका बहुत कम अंश अन्य से प्राप्त हो सकता है। इन सारी व्यवस्थाओं पर होने वाले व्यय व परिश्रम की बाजार मूल्य पर कीमत आंकी जाए, तो वह आर्थिक क्षेत्र में माने जाने वाली कमाई से कम नहीं बैठती। अत: गृह कार्य को विशेष सम्मान देने की आवश्यकता है।
हाँ, प्रत्येक व्यक्ति को (जिस भी स्थिति में जो है, उसी स्थिति में) अपने कार्य को ईमानदारी से करना चाहिए। ईमानदारी की कोई परिभाषा बान्धना कठिन है। पर हर एक अपने कार्य के सम्बन्ध में अच्छी प्रकार से जानता है कि ईमानदारी से यह कार्य कैसे होता है और मैं उसमें कहाँ-कहाँ क्या-क्या बेईमानी करता हूँ या बर्तता हूँ। बेईमानी व हेरा-फेरी से मन को केवल थोड़ी देर के लिए सन्तोष सा प्रतीत होता है, पर लाभ कुछ भी नहीं होता। क्योंकि आज मैं किसी की जेब काट रहा हूँ, तो कोई कहीं मेरी जेब पर हाथ फेर रहा है। इस प्रकार अन्त में घाटा ही हाथ लगता है। वस्तुत: आज की सबसे बड़ी समस्या यही है-
तालीम का शोर इतना, तहजीव का जोर इतना।
बरकत जो नहीं होती, नीयत की खराबी है॥
यह एक सचाई है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ प्रत्येक स्थिति में ईमानदारी का व्यवहार चाहता है। बेईमानी वश कार्य के बिगड़ने पर हर एक दुखी हो जाता है। अत: सुखी जीवन के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरे के साथ ईमानदारी का व्यवहार करे। अन्यथा किसी के दान-पुण्य, पूजा-पाठ का क्या मतलब या किसी को क्या लाभ? ईमानदारी से ही जब सारे कार्य होते हैं, तभी सारा समाज सुखी होता है। इसीलिए सभी महापुरुषों ने ईमानदारी=सत्य पर इतना जोर दिया है।
आधुनिक दहेज प्रथा- भारतीय समाज की दहेजप्रथा बेईमानी का एक निकृष्टतम नमूना है और यह दहेजप्रथा आज लाखों परिवारों के दु:खों और विनाश का कारण बनी हुई है। इस मंहगाई और अभाव में लोगों के प्रतिदिन के खर्चे तो पूरे होते नहीं, वे फिर लड़की को पालने-पोसने तथा पढाने-लिखाने के बाद बडी-बडी बारातों की आवभगत, सजावट एवं विविध नखरे, मांगें कहाँ से पूरी करें? इस पर आए दिन लेन-देन की बढती हुई प्रथायें कि अब रोक है, अब ठाका है, आज सगाई है, तो एक दिन चुन्नी चढाने के लिए ढेर सारी पलटन आई हुई है। चाहिए तो यह कि लड़के वाला लड़की वाले के अहसान को स्वीकार करे, क्योंकि वह पाल-पोसकर अपने परिवार के एक योग्य सदस्य को दूसरे के परिवार की समृद्धि के लिए सर्वात्मना समर्पित करता है।
विवाह वैयक्तिक और सामाजिक जीवन का एक अनिवार्य अंग है। व्यक्ति का एकांगीपन व अधूरापन विवाह द्वारा ही दूर होता है तथा दोनों के जीवन में आशा और उत्साह का संचार होता है। विवाह दो परिवारों और जीवनों का सम्मिलन है। अत: विवाह पर होने वाले व्यय को दोनों पक्षों को वहन करना चाहिए। एक पर अधिक भार डालना अनुचित है। वस्तुत: लड़की तथा लड़की वालों को हलका समझने से ही आज की अनेक प्रथायें प्रचलित हो रही हैं। दहेजप्रथा और कन्या भ्रूणहत्या भी इसी के ही परिणाम हैं। विवाह की सफलता वस्तुत: दोनों परिवारों और जीवनों के हर प्रकार के सहयोग, सद्भाव, सहानुभूति, परस्पर एक-दूसरे को समझने पर ही निर्भर है। - प्रा. भद्रसेन वेदाचार्य (दिव्ययुग- अप्रैल 2015)
Happy Passage -4 | Thinking | Earning and Honesty | Means of Subsistence | Respect in Society | Labor, Knowledge and Art | Honest Behavior | Modern Dowry System | Inflation and Scarcity | Family Prosperity | Personal and Social | Hope and Enthusiasm | Dowry and Female Feticide | Vedic Motivational Speech in Hindi by Vaidik Motivational Speaker Acharya Dr. Sanjay Dev for Mekliganj - Tirwaganj - Bhulath | दिव्ययुग | दिव्य युग |