राजाओं, सामन्तों और जागीरदारों के अत्याचारों की कथायें सुनी हैं पर आज जब पूरे विश्व में राज्य प्रमुखों, राजकीय कर्मियों तथा अपराधियों के वर्चस्व को देखते हैं तो उनकी क्रूरता भी कम नज़र आती है। पुराने समय के राजा लोग सामन्तों, जमीदारों, साहुकारों तथा व्यापारियों से कर वसूल करते थे। इतना ही नहीं किसानों से भी लगान वसूल करते थे, मगर वह किसी के सामने अपने राज्य या राजकीय व्यवस्था को गिरवी नहीं रखते थे। प्रजाहित में पुराने राजाओं के कार्यों को आज भी याद किया जाता है। मगर आज पूरे विश्व में हालत है कि चन्दा लेकर आधुनिक राजा अपना राज्य, अपनी आत्मा तथा राज्य का हित दांव पर लगा देते हैं। ऐसे में बरबस ही राजा राम की याद आती है।
प्रसंगवश अयोध्या के राम मन्दिर की याद आती है। राम के इस देश में अनेक मन्दिर हैं। कहने वाले तो कहते हैं कि न यह वह अयोध्या है न वही जन्म स्थान है जहाँ राम प्रकट हुए थे। पर ऐसे लोगों को मालूम होना चाहिए कि भगवान श्रीराम तो कोटि-कोटि भारतीयों के हृदयमन्दिर के वासी हैं। उनके भक्त इतने अनन्य हैं कि उनके कल्पित होने की बात कभी स्वीकारी नहीं जा सकती। यही कारण है कि उनका चरित्र अब देश की सीमाओं के बाहर भी चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
आध्यात्मिक लोगों के लिये हर पर्व चिन्तन और मनन की प्रेरणा देता है। ऐसे में सामान्य लोगों से अधिक प्रसन्नता भी उनको होती है। जहाँ आमजन अपनी खुशी में खुश होता है तो आध्यात्मिक लोग दूसरों को खुश देकर अधिक खुश होते हैं। यही भाव सभी लोगों को रखना चाहिये जो कि आज के समय की मांग है और जिसके प्रेरक भगवान श्रीराम हैं। - प्रस्तुति- कु. भावना पहल (दिव्ययुग-अक्टूबर 2014)
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