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भारत के इतिहास का महत्त्वपूर्ण दिवस

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Important Day in the History of India

15 अगस्त का दिन आधुनिक भारत के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। ये दिन है भारत की स्वतन्त्रता का। अंग्रेजों की कई साल तक गुलामी झेलने के बाद आज के दिन भारत आज़ाद हुआ। प्रत्येक भारतवासी के लिए यह सबसे गौरवशाली दिन है ।

भारत पर लम्बे समय तक मुग़लों का शासन रहा। मुग़लों की कई पीढियों ने भारत पर अपनी हुकूमत चलाई । तत्पश्‍चात अँगरेज़ ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ भारत में आए और देखते ही देखते पूरे भारत को अपने कब्ज़े में ले लिया। अंग्रेजों का गुलाम होने वाला भारत पहला देश नहीं था । आस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे और भी कई देश अंग्रेजों के गुलाम रह चुके हैं । उस समय सम्पूर्ण भारत छोटी छोटी रियासतों में बंटा हुआ था। अंग्रेजों ने एक-एक करके पूरे भारत पर अपना शासन प्रारम्भ कर दिया। भारत के नागरिक हमेशा से ही अपने आप को अंग्रेजों से आज़ाद करवाना चाहते थे। लेकिन कई साल कोशिश करने के बावजूद भी ये सफल नहीं हो रहे थे । इसका कारण था देश का बंटा हुआ होना । ज़रूरत थी एक ऐसी क्रान्ति की जो पूरे भारत में सर्वव्यापी हो । ज़रुरत थी ऐसे नेताओं की जो सम्पूर्ण भारत का नेतृत्व कर सकें। ज़रूरत थी ऐसे क्रान्तिकारियों की जो एकजुट होकर अपनी अपना तन-मन और धन देश के लिए न्यौछावर करने को तत्पर रहें।

सन 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के महायज्ञ का प्रारम्भ महर्षि दयानन्द सरस्वती ने प्रारम्भ किया और अपने प्राणों को भारत माता पर मंगल पाण्डे ने न्यौछावर किया और देखते ही देखते यह चिंगारी एक महासंग्राम में बदल गयी, जिसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब, ’सरफरोशी की तमन्ना’ लिए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक, चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव आदि देश के लिए शहीद हो गए। तिलक ने ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है‘ का सिंहनाद किया और सुभाष चन्द्र बोस ने कहा - तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा।

देश के क्रान्तिकारी नर्म दल और गर्म दल में बंटे हुए थे । क्रान्तिकारियों ने भारत को आज़ाद करवाने के लिए अनेकविध आन्दोलन किये। अन्ततः वे अंग्रेजी सरकार की हुकूमत को हिलाने में कामयाब रहे । पूरी अंग्रेज़ी सरकार डामाडोल हो गयी । स्वतन्त्रता संग्राम के आगे उन्हें घुटने टेकने पड़े । ’अहिंसा’ और ’असहयोग’ लेकर महात्मा गाँधी और ग़ुलामी की जंज़ीरों को तोड़ने के लिए ’लौह पुरुष’ सरदार पटेल जैसे महापुरूषों ने कमर कस ली। 90 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतन्त्रता का वरदान मिला। 15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहर लाल नेहरु ने लाल किले पर तिरंगा झंडा फहरा कर भारत की आज़ादी का ऐलान किया। वो ऐलान था एक नयी कहानी का, एक नए सवेरे का। स्वतन्त्रता का ये दिन इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जा चुका है। प्रत्येक भारतीय के दिल में यह दिन एक महत्त्चवूर्ण स्थान रखता है।

यह दिन याद दिलाता है हमें उन हजारों क्रान्तिकारियों की जिन्होंने आज़ादी की इस लड़ाई में अपने प्राण तक दे दिए। क्रान्तिकारी मर कर भी अमर हो गए। इस वर्ष भारत ब्रिटिश शासन से आज़ादी की 67 वीं वर्षगांठ मना रहा है। स्वतन्त्रता दिवस पर हम अपने उन महान राष्ट्रीय नायकों को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं, जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए बलिदान दिए और अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।

आज भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य बनता है कि वह वीरों के बलिदान को व्यर्थ न गवाए तथा एक सुन्दर भविष्य की तरफ बढता रहे।• - सम्पादकीय (दिव्ययुग - अगस्त 2014)

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