दीपावली यूं तो हम हर वर्ष ही मनाते हैं, लेकिन इस बार की दिवाली दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र भारत के लिए कुछ खास है। 30 वर्ष के अन्तराल में यह पहला अवसर है जब किसी दल को केन्द्र की सत्ता के लिए पूर्ण बहुमत मिला है। अन्यथा इससे पहले की सरकारें दूसरे दलों की बैसाखियों पर ही टिकी रहती थीं, जिनके ज्यादातर फैसले दबाव में ही होते थे। सबसे अहम बात यह है कि वर्तमान में केन्द्र में उस दल की सरकार है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को ही अपना आदर्श मानती है और उनके नाम का सहारा लेकर ही केन्द्र की सत्ता तक पहुंची है।
सरकार के शुरुआती कदमों ने उम्मीद की किरण दिखाई है, चाहे वह अर्थव्यवस्था का मामला हो या फिर विदेश नीति का। यह किसी से छिपा नहीं है कि चीन आए दिन हमारी सीमाओं का अतिक्रमण करने के प्रयास करता है, वहीं नेपाल जैसे हमारे सबसे विश्वस्त पड़ोसी पर भी वह अपना प्रभुत्व कायम करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की हाल की नेपाल यात्रा कई मायनों में खास रही। वहाँ उन्होंने नेपालवासियों का भरोसा जीता और उसे आर्थिक मदद भी दी। हाल की जापान यात्रा में भी उन्होंने दुनिया को आंख दिखाने वाले चीन को इशारों में समझा दिया कि अब वक्त बदल गया है। हम सबसे अच्छे सम्बन्ध चाहते हैं, लेकिन किसी की दादागिरी भी सहन नहीं करेंगे। मोदी की जापान यात्रा पर चीन की टिप्पणी हमेशा की तरह आक्रामक न होकर काफी सधी हुई थी। दूसरी ओर पाकिस्तान से सचिव स्तरीय वार्ता रद्द करके उसे भी कड़ा जवाब दिया गया है।
विकास की राह देख रही और महंगाई से जूझ रही जनता को भी मोदी सरकार से काफी अपेक्षाएं हैं। हालांकि 100 दिन के शासन में महंगाई के स्तर में उल्लेखनीय सुधार देखने को नहीं मिला है। तुलसीदास जी ने रामचरित मानस में लिखा है- जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी। अर्थात जिस राजा के राज्य में प्रजा दुखी होती है, उसे नरक में जाना पड़ता है। यदि इसे वर्तमान सन्दर्भ में देखें तो ’राजा’ को नरक मिले या न मिले, लेकिन यह निश्चित है कि जनता उसे सत्ता से जरूर उतार देती है और किसी भी राजनीतिक दल और नेता के लिए सत्ता छोड़ना नरक जाने से कम नहीं है। हालांकि मोदी के कार्यकाल का अभी आकलन जल्दबाजी होगी। इसके लिए उन्हें समय दिया जाना चाहिए, लेकिन यह भी सही है उन्हें देशवासियों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरना होगा।
चूंकि बात विजयादशमी और दीपावली की है, अत: वर्तमान सरकार से लोगों को यह भी उम्मीद है कि वह अयोध्या में राममन्दिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे। यदि सरकार इस दिशा में सार्थक प्रयास करती है और सफल रहती है तो निश्चित ही दशहरा और दीपावली दोनों ही पर्व सार्थक होंगे, क्योंकि इन दोनों ही त्योहारों का सीधा सम्बन्ध अयोध्यापति राम से ही है।
वर्तमान सरकार से उम्मीदों की लौ लगाए बैठे देशवासियों के लिए कवि हरिवंशराय बच्चन की पंक्तियाँ इस अवसर पर काफी समीचीन हैं...
शत-शत दीप इकट्ठे होंगे, अपनी-अपनी चमक लिए।
अपने-अपने त्याग, तपस्या, श्रम, संयम की दमक लिए॥
इसी आशा और विश्वास के साथ कि विजय का पर्व दशहरा और प्रकाशोत्सव दीपावली सभी के जीवन में उत्साह और उल्लास का उजियारा लेकर आएंगे, ’दिव्ययुग’ के सभी पाठकों को विजयादशमी और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। जय श्रीराम...! जय भारत..! - वृजेन्द्रसिंह झाला (दिव्ययुग-अक्टूबर 2014)
Majority of Diwali | Editorial | Power of Center | Transgression of Boundaries | Hold His Dominion | No Bear | High Expectations from Government | Political Parties and Leaders | Paved the Way for Construction | Excitement and Joy | Vedic Motivational Speech & Vedas Explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik Mantras in Hindi) for Mogra Badshahpur - Thorapadi - Hussainpur | दिव्ययुग | दिव्य युग |