हिन्दू, सिक्ख, जैन, मुस्लिम और ईसाई तथा मानव मात्र की सभी विचारधाराओं में शराब ही नहीं बल्कि तमाम नशीले और नाशक पदार्थों के खान-पान का प्रबल विरोध है। और तो और इन पदार्थों को अपनाने वाले पतन के गर्त में गिरे हैं। चाहे राजा-महाराजा क्यों न हों वे भी पथभ्रष्ट हुए हैं। शराब तो मनुष्य पीते हैं लेकिन उसकी पीड़ा महिलाएँ भोगती हैं। शराब के कारण लाखों माँ-बेटियाँ, बहुएँ कराहती-तड़पती हुई जीते जी दम तोड़ रही हैं। आश्चर्य इस बात का है कि स्वयं महिलाएँ भी शराब पीने लगी हैं।
महापुरुषों के शराबबन्दी विषयक विचार -
अगर मुझे एक घण्टे के लिए सारे भारत का तानाशाह बना दिया जाए तो पहला काम मैं यह करूंगा कि तमाम शराबखानों को मुआवजा दिये बिना ही बन्द कर दूंगा। - महात्मा गान्धी
जो शराब पीते हैं वह विद्यादि शुभ गुणों से रहित होकर उन दोषों में फँसकर अपने धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष फलों को छोड़ पशुदत् प्रवृत्त होकर अपने जीवन को व्यर्थ कर देते हैं। इसलिए नशा अर्थात् मद कारक द्रव्यों का सेवन कभी भी नहीं करना चाहिए। - महर्षि दयानन्द सरस्वती
तुम सिंह के सामने जाते समय भयभीत मत होना, यह पराक्रम की परीक्षा है। तुम तलवार के नीचे सिर झुकाने में भयभीत न होना यह बलिदान की कसौटी है। तुम पर्वत के शिखर से पाताल में कूद पड़ना, यह तप की साधना है। तुम बढ़ती हुई ज्वालाओं से विचलित न होना यह संयम की परीक्षा है। किन्तु शराब से सदा भयभीत व दूर रहना, क्योंकि यह पाप और अनाचार की जननी है। - गौतम बुद्ध
जो मनुष्य शराब का सेवन करता है, उसके तीर्थ स्नान करने, व्रत रखने एवं अनेकानेक अनुष्ठानों के महात्म्य सबके सब नरक में पड़ जाते हैं। - गुरु नानक
शराब के अधीन होकर मनुष्य निन्दनीय कर्म करता है, जिसके फलस्वरूप वह इस लोक-परलोक में अत्यन्त दुःखों को प्राप्त करता है। - हजरत मोहम्मद
शराब सब बुराइयों की जड़ है। यदि तुम परमात्मा के स्थान अर्थात् गिरजाघर जाने वाले हो तो कभी मद्यपान मत करना और ना ही अपनी सन्तान को ऐसा करने देना। - ईसा मसीह
शराब में शैतान का निवास होता है। शराब को प्रचलित रखने के लिए वर्तमान राजनेता यह तर्क देते हैं कि शराबबन्दी से हजारों रुपये की राजस्व हानि होती है। वे यह क्यों नहीं सोचते हैं कि लोग अपराध, दुर्घटना और बीमारियों के भी शिकार होते हैं।
1. शराब बनाने, शराब बेचने, शराब पीने पर कानूनी प्रतिबन्ध अर्थात् राज्य शासन द्वारा पूर्ण नशाबन्दी घोषित की जावे।
2. नशा चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जावे।
3. साहित्य प्रचार एवं सत्संग गोष्ठियाँ आयोजित कराई जावें।
4. जन आन्दोलन विशेषकर महिलाओं द्वारा इस बुराई के विरोध में आन्दोलन चलाया जावे।
5. सम्पूर्ण देश में एक साथ शराबबन्दी की जावे।
6. शराब से घृणा करें, शराबी से नहीं।
7. मजदूरों में शराब के विरुद्ध जन-चेतना लाई जावे।
8. प्रबन्धक और अधिकारी वर्ग शराब छोड़कर आदर्श स्थापित करें।
9. उद्योगों के अन्दर शराब पीने या पीकर आने पर पूर्ण प्रतिबन्ध हो।
10. होटलों, क्लबों और पार्टियों में शराब पीने पर पूर्ण प्रतिबन्ध हो।
11. शराब पीना छोड़ दो, शराब की बोतल फोड़ दो, शराब के ठेके बन्द करो।
12. जन-जन की है यही पुकार शराब बन्दी करें।
13. नहीं चाहिए शराब की दुकान, हमें चाहिए रोटी, कपड़ा और मकान।
14. घर-घर का एक ही नारा शराबबन्दी से हित हमारा।
15. वाह रे शासन तेरा खेल, सस्ती दारु महंगा तेल।
शराब एक सामाजिक कुरीति है। इसके लिए आम नागरिक खासकर माताओं बहनों से अपील है कि इस बुराई को दूर करने के लिए तन-मन-धन से पूर्ण सहयोग करें तभी यह बुराई जड़मूल से नष्ट हो सकेगी। - विनोद बिहारी भटनागर
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