संगठन से समाज सुदृढ होता है। संगठन की महिमा उपार है। सद्गुण युक्त थोड़े व्यक्ति भी हों तो उनका संगठित होना कल्याणकारी है। तिनके मिलकर रस्सा बनाते हैं तथा उनसे उन्मत्त और बलवान् हाथी भी बान्धे जा सकते हैं। समाज में प्रतिष्ठित रूप से जीवित रहने के लिए संगठन अनिवार्य है। कामना की गई है कि सबके मन और विचार समान हों-
समानो मन्त्र: समिति: समानी समानं मन: सह चित्तमेषाम्।
समानं मन्त्रमभि मन्त्रये व: समानेन वो हविषा जुहोमि॥105
अर्थात् समाज के लोगों की मन्त्रणा एक प्रकार की हो। समिति एक प्रकार की हो। इनका मन समान हो और चित्त (चिन्तन) भी समान हो। तुम्हें समान मन्त्र देता हूँ और तुम्हें समान सामग्री से युक्त करता हूँ।
अभिप्राय यह है कि समाज की सभा और समितियों में एक प्रकार का सामूहिक निर्णय लिया जाए। समाज के सभी सदस्यों के विचारों में एकरूपता हो। सभी एक निर्णय लेकर उसका पालन करें। यह संगठन की भावना ही समाज को उन्नत करती है। अत: इसका दृढतापूर्वक पालन करना चाहिए।
निम्न मन्त्र में सबका संकल्प एक होने का सन्देश दिया गया है-
समानी व आकूति: समाना हृदयानि व:।
समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति॥106
अर्थात् तुम्हारे संकल्प समान हों। तुम्हारे हृदय समान हों। तुम्हारे मन समान हों, जिससे तुम्हारा संगठन हो।
इस मन्त्र में संगठन के तीन मूल तत्वों का उल्लेख है- विचार साम्य, हृदय साम्य, मन साम्य। किसी भी समाज-संगठन के लिए संगठित होने वाले समूह में विचारों की एकता का होना सर्वप्रथम आवश्यकता है। यदि विचारों में एकता नहीं है तो वह संगठन सुदृढ नहीं हो सकता है। विचारों की एकता से ही लक्ष्य में एकता होती है। लक्ष्य एक होने पर भी यदि परस्पर हार्दिक सहयोग नहीं किया जा रहा है तो भी सफलता सन्दिग्ध है। अत: लक्ष्य की पूर्ति के लिए हृदय की एकता भी अनिवार्य है। लक्ष्य और हृदय एक होने पर मानसिक प्रबुद्धता भी होनी आवश्यक है। तभी संगठन की उन्नति होगी। - (क्रमश:)
सन्दर्भ सूची
105. तैत्तिरीय ब्राह्मण - 2.4.4.5
ऋग्वेद संहिता - 10.191.3
106. तैत्तिरीय ब्राह्मण - 2.4.4.6
ऋग्वेद संहिता - 10.191.4 (दिव्ययुग- फरवरी 2015)
Social Environment | Divine Message | Devi Ahilya University | Thesis Management | Acharya Dr. Sanjay Dev | Environment in Yajur Veda | Strong Society | Organization Glory | Mind and Thought | Society Advanced | Unity of Thoughts | Mental Enlightenment | Organization Growth | Newspaper, Vedic Articles & Hindi Magazine Divya Yug in Mettupalayam - Kakori - Dhuri | दिव्ययुग | दिव्य युग |