संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार समान कानून संहिता लगाये बिना सेक्युलरिज्म की बात करना देश की बहुसंख्यक जनता को धोखा देना है। समान कानून के अभाव में वोट हेतु कांग्रेस द्वारा मुस्लिम आदि को संविधान से विरुद्ध ’मुस्लिम पर्सनल लॉ’ आदि बनाकर कश्मीर में उन्हें बहुसंख्यक करके बंटवारे की नई योजना बनी है। इसी कारण वहाँ मुख्यमन्त्री उमर द्वारा स्थानीय मुसलमानों के सहयोग से अफजल की फांसी माफ करने का प्रस्ताव रखा गया है। कसाब की भी मुस्लिम सम्प्रदाय फांसी नहीं चाहता। मानव अधिकार के नाम पर अल्पसंख्यक आंतकियों को छोड़ देने हेतु वे कहते हैं कि जिसे हमने बनाया नहीं उसे मारने का अधिकार नहीं। सत्य यह है कि बनाने वाला ईश्वर वेद में मारने का भी आदेश देता है यदि वह दुष्ट हो जाए तो। फांसी न देने की बात करने वाले क्या सीमाओं पर व देश में भी ’न’ (जेड) टाईप सुरक्षा हटाना चाहेंगे? क्योंकि उनसे भी लोग मरते हैं।
समान कानून न लगाना जहाँ देशद्रोह है, वहाँ बहुसंख्यकों से पक्षपात करके उनकी सांस्कृतिक हत्या है। असमान कानून के कारण ही हज यात्रा, मदरसों, मौलवियों, हजयात्रियों और भारत पर हमला करने वाले हुमायुँ आदि के मकबरों व मस्जिदों पर सरकार अरबों रुपया खर्च कर रही है। परन्तु महाक्रान्तिकारी ‘शहीदस्मारक’ हनुमान द्वीप, टंकारा, अमरनाथ, रामेश्वरम् एवं ननकाना साहिब आदि आर्य- खालसा-हिन्दुओं के तीर्थस्थानों की यात्रा हेतु कोई सरकारी सहयोग नहीं? भारतीय मुसलमानों हेतु आरक्षण, निःशुल्क उच्च शिक्षा, सस्ता शिक्षा ब्याज दर व पाकिस्तानी मुसलमानों हेतु निःशुल्क हृदय आपरेशन और दूसरी ओर आर्य-खालसा-हिन्दू विद्यार्थियों व किसानों द्वारा बिना सहायता के आत्महत्या। एक ओर वोट लोभी नेताओं द्वारा देश में अधिक जनसंख्या के नाम पर बहुसंख्यक लोगों की नसबन्दी के लिए मगरमच्छी आँसू, तो दूसरी ओर टिड्डीदल की तरह बढ़ रहे मुस्लिम वोटबैंक की जनवृद्धि।
‘समान कानून संहिता’ लगाये बिना निष्पक्ष चुनावों की बात करना देश के मूल नागरिकों को धोखा देना है। यदि एक व्यक्ति पैदल चले और दूसरा गाड़ी पर 50 की स्पीड पर चले तो क्या दोनों की रेस का कोई औचित्य है? स्वास्थ्य मन्त्री गुलाम नबी आजाद ने पद सम्भालते ही कहा कि मैं नसबन्दी हेतु लोगों को बाध्य नहीं करूँगा। क्योंकि वह जानते हैं कि इससे मुस्लिम वोट द्वारा मुस्लिम राज्य प्राप्त होने में हानि होगी। एक ओर दो या तीन बच्चे, दूसरी ओर चार बीवियों से दस से पचास बच्चे, क्या कभी आर्य-खालसा-हिन्दू राज कर पायेंगे? काश्मीर, केरल आदि में यही हुआ। एक ओर नारियों के सम्मान का सरकारी दिखावा तो दूसरी ओर दोगले कानून द्वारा बुर्काबन्द चार-चार बन्धुआ औरतें। एक ओर युवाओं के चरित्र का जूठा आलाप तो दूसरी ओर जन्नद वाले कानून से समलैंगिता की छूट । एक ओर संविधान के अनुच्छेद 51 के अनुसार नागरिकों के तार्किक व वैज्ञानिक होने का विधान तो दूसरी ओर दोगले कानून से कुरान व बाईबल के अनुसार धरती का चटपटा होना व आकाश का खम्बों पर खड़े होने का प्रचार।
असमान कानून देश में सबसे अधिक भ्रष्टाचार का कारण है। पहले वन्देमातरम् के विरोधियों की संख्या बढ़ाई जाती है, तत्पश्चात् वोट लोभ हेतु उन्हें लुभाने के लिए काला धन जोड़ा जाता है। मुम्बई हमलों के पश्चात् देश के गृह राज्यमन्त्री शकील अहमद ने दूरदर्शन पर बड़ी निर्भीकता से कहा कि हम पाक पर कैसे हमला कर सकते हैं? क्योंकि वहाँ भारतीय मुसलमानों के रिश्तेदार रहते हैं। लगता है कि नेताओं और आतंकवादियों में कोई गुप्त समझोता है, न तो नेताओं को ही आतंकवादी मारते हैं और न ही नेता उन्हें फांसी देते हैं। जब तक साधारण जनता मरती रहेगी, आतंकवाद का भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा। समान कानून संहिता न लाने से जहाँ देश पुनः बंटने के कगार पर है, वहाँ अधिक जनसंख्या के कारण देश के मूल नागरिकों को भूखा मारकर व साधन विहीन करके मुस्लिम वोट प्राप्ति हेतु अधिक भ्रष्टाचार किया जाता है व काला धन जोड़ा जाता है। एक ओर दो बच्चे भूखे, तो दूसरी और बीस के पेट भरे।
समान कानून संहिता के स्थान पर मुस्लिम पर्सनल लॉ व ईसाई तुष्टिकरण के कारण ही इस 65 वर्ष की तथाकथित आजादी में केन्द्र द्वारा संविधान के अनुच्छेद 48 से गोरक्षा बिल पास नहीं किया जा सका। अपितु ठीक इसके विरुद्ध कांग्रेस सरकार द्वारा हजारों नये बूचड़खाने खोले गए ताकि ईसाई मुस्लिम वोट न छिन जाएं। पूर्व प्रधानमन्त्री इन्दिरा गान्धी के काल में गोरक्षा आन्दोलन चलाने वालों को गोलियों से भून दिया गया। इसके साथ ही निरोगकारी और चरित्रवर्धक भारतीय गोवंश को समूल नष्ट करके हृदय रोग आदि उत्पन्न करने वाली विदेशी जर्सी गायों को तैयार किया गया। संविधान के अनुसार धर्म के आधार पर किसी सम्प्रदाय को सहयोग देना निषिद्ध है। फिर भी देश के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह कहते हैं कि देश के लाभांश पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। क्योंकि कांग्रेस यह जानती है कि उनके राज को बचाने हेतु मुस्लिम वोट ऑक्सीजन का काम कर रहा है। भ्रष्टाचार की हद है।
असमान कून संहिता के कारण ही अनुच्छेद 25 व 19 के विरुद्ध कुछ भी बोलने की अर्थात् कश्मीर को भारत का अंग न कहने की आजादी दी जा रही है। जबकि संविधान यह कहता है कि मजहब व बोलने की आजादी कुछ नियमों से बन्धी हुई है। अर्थात् देश की प्रभुसत्ता, परस्पर भाईचारा व समाज का वातावरण नहीं बिगड़ना चाहिए। बहुमुस्लिम जनता होने के कारण ही सरकार सेक्स जिहाद पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। जहाँ कुरान के अनुसार जेहाद द्वारा गैर मुसलमान देश को गैरों की हत्या करके मुस्लिम बनाने का विधान है वहाँ उसके साथ-साथ गैरों की औरतों को अनगिनत संख्या में लाकर अधिक बच्चों का विधान है। खेद का विषय है कि पढ़े लिखे व धनवास मुस्लिम भी कुरान के अनुसार आर्य-खालसा-हिन्दुओं की हत्या करने में सम्मिलित हैं। अर्थात् जेहाद गरीबी के कारण नहीं मजहब के कारण है। इसी कारण काश्मीर से लाखों हिन्दुओं को बाहर निकाल दिया गया है, जिससे कि वहाँ पाकिस्तान के समान पृथक मुस्लिम राज्य की स्थापना की जा सके। इसी कारण देश के मुसलमान अफजल व कसाब की फांसी पर चुप हैं।
असमान कानून के कारण लगता है कि औरंगजेब का शासन पुनः आने वाला है। जबकि भारत की राजधानी दिल्ली में उसके व उसके बाबर आदि लुटेरे साथियों के नाम पर राजमार्ग व कालोनियाँ बनी हुई हैं। यदि समय रहते ही शीघ्र उच्चतम न्यायालय के पूर्व निर्दिष्ट आदेश से समान कानून संहिता नहीं लगाई गई तो वह समय दूर नहीं कि आर्य-खालसा-हिन्दुओं को देश में जीने हेतु गुरु अर्जन देव, गुरु तेगबहादुर, भाई मतिदास, भाई सतिदास, पण्डित लेखराम व स्वामी श्रद्धानन्द की तरह अपनी गर्दन कटवानी होगी अथवा लोगों को गोमांस खाने हेतु मुस्लिम बनने को तैयार रहना होगा। खेद है कि मुस्लिम संख्या बढ़ने से जिहादी आतंक व लव जिहाद से हिन्दुओं की जाने व नारियों के शील नष्ट हो रहे हैं। क्या मोहम्मद अहमद पटेल ने अनातोनिया को विश्वास दिया है कि कांग्रेस कभी नहीं हारेगी यदि वह इस्लाम बढ़ायेगी। Cambrige History of India V. 6 Pg 872 के अनुसार कांग्रेस ने मुसलमानों की मांगों से भावनाओं से भड़काते हुए देश को बाँटकर पाकिस्तान बना दिया। क्या पाक के पश्चात् काश्मीर व फिर पूर्ण भारत मुस्लिम राज्य होगा? (जारी) - आचार्य आर्यनरेश
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