विशेष :

भारतीय संस्कृति के आदर्श हैं श्रीराम

User Rating: 0 / 5

Star InactiveStar InactiveStar InactiveStar InactiveStar Inactive
 

Shri Ramसमाज में सदाचार-दुराचार, सत-असत्, आसुरी वृत्ति तथा देवत्व का संघर्ष शाश्‍वत है । राम-कथा समस्त मानव समाज को संघर्ष में विजय प्राप्त करके कल्याणकारी जीवन की मार्गदर्शिका है । राम वनवास का सीता तथा लक्ष्मण से परोक्ष-अपरोक्ष दूर का भी सम्बन्ध नहीं था । वे राजमहल में सुख-चैन से रह सकते थे, परन्तु उन दोनों ने वनवासी राम का अनुगमन करके त्याग-तपस्या का मार्ग चुना । भरत को अयोध्या का राज्य विधिवत मिल चुका था। परन्तु उन्होंने नंदीग्राम में तपस्वी जीवन व्यतीत करते हुए न्यासी के रूप में राज्य संचालन किया और लौटते ही राम को सौप दिया । प्रेम, त्याग, तपस्या से ओतप्रोत है राम कथा । राम की पुण्य गाथा मानवीय मूल्यों और आदर्शों से अनुप्राणित है । हनुमान की अनन्य निष्काम भक्ति, भरत का निश्छल प्रेम, उर्मिला का त्याग, लक्ष्मण का समर्पण और सेवाभाव, सीता का पातिव्रत, निर्भीकता आदि राम कथा के समस्त पात्रों के जीवन समाज का मार्गदर्शन करने वाले हैं ।

भगवान श्रीराम का प्रत्येक चरित्र मानव मात्र के लिए भक्ति और मुक्ति प्रदान करने के साथ ही सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से भी अनुकरणीय है । आज समाज में उच्छृंखलता और असंतोष सर्वत्र दृष्टिगोचर होता है । यदि आज भगवान श्रीराम के चरित्र का आर्दश ग्रहण कर तदनुसार सामाजिक व्यवस्था का संयोजन किया जाये, तो असंतोष का वातावरण शांति में परिवर्तित हो सकता है । माता, पिता गुरुजनों आदि के साथ व्यवहार की शिक्षा राम के चरित्र से ग्रहण करनी चाहिए । शबरी एवं केवट के साथ भगवान श्रीराम की भेंट तथा व्यवहार आज समाजोत्थान हेतु अनुकरणीय आदर्श है ।

समस्त भारतीय संस्कृति का मूलाधार है गार्हस्थ्य व्यवस्था और राम हैं इस व्यवस्था के चरम आदर्श । उन्होंने परिवार और समाज के प्रति उत्कट त्याग भाव का परिचय दिया तथा अन्याय से निरन्तर झूझने की प्रेरणा दी । उनके चरित्र के आधार पर समाज में मर्यादायें बंधीं, आदर्श स्थापित हुए । धीरे-धीरे अनेक व्याख्यान उनकी जीवन गाथा से जुड़ते गये । भारत के युग-युग की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ, उच्च जीवन मूल्य और जनसाधारण की आशा-आकांक्षाएँ रामकथा के साथ जुड़ती गई और आज राम भारत की सांस्कृतिक विरासत के सर्वोच्च प्रतीक हैं । भारतीय समाज के दिशानिर्देशक प्रकाश स्तम्भ हैं ।

रामायण में इस बात का चित्रण किया गया है कि मानवता से ही दानवता का पराभव हो सकता है । रामायण में श्रीरामचरित्र के माध्यम से मानवता एवं रावण के चरित्र के माध्यम से दानवता के स्वरूपों का प्रतिपादन हुआ है । मानवता नाम मर्यादा का है और मर्यादा का जनक विनय है । दानवता नाम उच्छृंखलता का है और उसका जनक अहंकार है । मानवता सुख, शांति, उन्नति एवं सेवाभाव आदि की जननी है । दानवता दु:ख, अशान्ति, पीड़ा एवं अभाव आदि की जननी है । राम में विद्यमान रामत्व विनय है, रावण में विद्यमान रावणत्व उच्छृंखलता है ।

मर्यादा ही जीवन की कसौटी है । मर्यादाहीन मानव पशु है, दानव है । मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने तो वनवासियों को भी मर्यादित कर दिया । जटायु, जाम्बवन्त, अंगद आदि नगरवासियों से भी कहीं अधिक मर्यादा में आगे बढ गये । मर्यादा में त्याग, संघर्ष, लोकापवाद आदि भी सहने पड़ते हैं । भगवान श्रीराम के चरित्र में ये प्रत्यक्ष घटित हुए । राज्य लक्ष्मी का त्याग, पतिव्रता सीता को लेकर लोकापवाद जैसी अलौकिक घटनाएँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र के उज्ज्वल पक्ष हैं। स्वभाव से संकोची, पुष्पों से भी अधिक सुकोमल रामचन्द्र, इन अवसरों पर वज्र से भी अधिक कठोर हो गए, किन्तु मर्यादा की लीक नहीं छोड़ी ।

राम विराट भारतीय संस्कृति के आदर्श हैं । राम-संस्कृति का अर्थ है भारतीय संस्कृति, मानवीय संस्कृति और विश्‍व संस्कृति । राम का आदर्श जीवन भारतीय संस्कृति का एक ऐसा दिव्य प्रभामण्डल है, जो समस्त राष्ट्र तथा विश्‍व को सदैव आलोकित करता रहेगा । वास्तव में राम मात्र भारतीय संस्कृति के प्राण पुरुष ही नहीं हैं, वरन् वे विश्‍व संस्कृति के नायक हैं । विश्‍व जनमानस ने उन्हें आदर्श पुरुष के रूप में स्वीकार किया है ।

भगवान श्रीराम का स्वरूप अत्यन्त व्यापक एवं गहन है । राम-कथा के अनेकानेक रूप हैं, विविध पक्ष हैं, इसीलिए त्रेतायुग से आज तक पतित पावनी गंगा की भांति रामकथा प्रवाहमान है, मानव सभ्यता को जीवन प्रदान करती रही है और करती रहेगी । राम कथा की महिमा अनंत, अपरिमित ओर अथाह है ।• - राजीव मिश्र

Shriram is the ideal of Indian Culture | Demonic instincts and struggle of God | Life Guides | Ram Katha | Exclusive Devotion to Hanuman | Love of Bharat | Sacrifice of Urmila | Laxman's Dedication and Service | Sita's Husband Fast | Ram is the Highest Symbol of India's Cultural Heritage | Father of Limit | Indian Culture | Human Culture | World Culture | Life of Indian Culture | Heroes of World Culture | Vedic Motivational Speech in Hindi by Vaidik Motivational Speaker Acharya Dr. Sanjay Dev for Karwar - Valavanur - Gondal | News Portal - Divyayug News Paper, Current Articles & Magazine Kasaragod - Vallam - Halvad | दिव्ययुग | दिव्य युग


स्वागत योग्य है नागरिकता संशोधन अधिनियम
Support for CAA & NRC

राष्ट्र कभी धर्म निरपेक्ष नहीं हो सकता - 2

मजहब ही सिखाता है आपस में बैर करना

बलात्कारी को जिन्दा जला दो - धर्मशास्त्रों का विधान