हमारी संस्कृति का अभिधान है, ‘भारतीय संस्कृति’, इस पर हावी न हो पाए पाश्चात्य संस्कृति।
इस बात से रहना है हमें निरन्तर सजग,
भारतीय संस्कृति है वस्तुतः अध्यात्म प्रधान संस्कृति॥
भारतीय मनीषा का अभूतपूर्व अवदान है ’गीता’,
इसका आधारभूत सन्देश है ’कर्मवाद’ का सन्देश।
सम्पूर्ण संसार में सर्वप्रथम गया था यही सन्देश,
भारतासियों को भी आचरणीय बनाना है यही सन्देश॥
पश्चिम के नागरिकों का जीवन होता अनुशासित जीवन,
स्वावलम्बन तथा समय का सदुपयोग हैं उनके आधार।
निम्न से निम्न काम को भी वे करते हैं सोत्साह,
इन्हीं चार बिन्दुओ को बनाना है भारतीयों को जीवनाधार॥
सन्त कबीर, जायसी, गोस्वामी तुलसीदास, रहीमदास,
अयोध्यासिंह उपाध्याय, मैथिलीशरण, जयशंकर तथा महादेवी।
इनका साहित्य है नाना आदर्शों से परिपूर्ण,
आदर्श जीवन-दर्पण है ‘भारतीय संस्कृति’॥ - डॉ. महेशचन्द्र शर्मा
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