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आत्मविश्‍वास से मिलती हैं कामयाबी

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Self Confidenceसत्यनिष्ठ मनुष्य जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकता है। वह अपने प्रयास इतने आत्म-विश्‍वास के साथ करता है कि उसमें आकर्षक और सफलता दोनों ही विद्यमान रहते हैं। सभी मनुष्यों के मन में एक महान लक्ष्य होता है, एक ऊंचा उद्देश्य या कोई विशाल योजना होती है। किन्तु मार्ग में पहली कठिनाई आते ही उसके अनुकूल जीवन जीने का संकल्प और उस दिशा में निरन्तर आगे बढ़ने का निश्‍चय हिल जाता है। भर्तृहरि कहते हैं- “कुछ लोग बाधा न आने तक आगे बढ़ते हैं। किन्तु बहुत लोग ऐसे भी होते हैं जो बाधाओं के भय से कोई कार्य हाथ में ही नहीं लेते।’’ जीवन पथ पर जब कोई अनपेक्षित घटना घटती है तो दृढ़ता की परीक्षा होती है। उस समय सत्य-निष्ठा की जांच होती है। कभी-कभी यह परीक्षा बड़ी अनुदार और कठोर होती है। परन्तु यदि सत्य-निष्ठा व्यक्ति के विश्‍वास और आदर्श में गहरी जड़ जमाए है तो वह खरी सिद्ध होती है। उस समय व्यक्ति संघर्ष के लिए अधिक सशक्त बन जाते हैं। इस प्रकार सशक्त बन व्यक्ति जब सत्यनिष्ठा के साथ जीवन के कठिन मार्ग पर आगे बढ़ता है तथा बाहरी परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करना है, तो उसके अन्दर नया उत्साह जाग्रत होता है। वह अपने एक संकल्प को पूरे होने पर दूसरा बड़ा संकल्प होना चाहता है। सफलता की इच्छा अगर इतनी गहरी हो जितनी कि डूबने वाले को हवा की होती है, तो वह व्यक्ति को जरूर मिलेगी। सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा लक्ष्य को प्राप्त करने की गहरी इच्छा शक्ति से आती है। व्यक्ति के अन्दर इतनी शक्ति होती हैकि वह जो कुछ सोच सकता है और जिसमें यकीन करता है वह उसे हासिल भी कर सकता है। सभी कामयाबियों की शुरुआत उन्हें पूरा करने की इच्छा से होती है। जिस प्रकाड़ थोड़ी सी आग ज्यादा गरमी नहीं दे सकती, उसी तरह कमजोर इच्छा से बड़ी कामयाबी नहीं मिल सकती। - राजीव मिश्र

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