विशेष :

वह प्रभु महान् है

User Rating: 0 / 5

Star InactiveStar InactiveStar InactiveStar InactiveStar Inactive
 

ओ3म् न तस्य प्रतिमा अस्ति यस्य नाम महद्यशः।
हिरण्यगर्भ इत्येष मा मा हिंसीदित्येषा यस्मान्न जात इत्येषः॥ (यजु. 32.3)

शब्दार्थ- (यस्य) जिसका (नाम) प्रसिद्ध (महत् यशः) बड़ा यश है (तस्य) परमात्मा की (प्रतिमा) मूर्ति, प्रतिकृति, प्रतिनिधि, मापक, परिमाण (न अस्ति) नहीं है (एषः हिरण्यगर्भः इति) सूर्यादि तेजस्वी पदार्थों को अपने भीतर धारण करने से वह हिरण्यगर्भ है। (मा मा हिंसीत् इति एषा) ‘मेरी हिंसा मत कर’ ऐसी प्रार्थना उसी से की जाती है (यस्मात् न जातः इति एषः) ‘जिससे बढ़कर कोई उत्पन्न नहीं हुआ‘ ऐसा जो प्रसिद्ध है, उस परमात्मा का कोई आकार या प्रतिमा नहीं है।

भावार्थ- ईश्‍वर का सामर्थ्य महान् व उसका यश भी महान् है। ‘हिरण्यगर्भः’ यजुर्वेद 25.10-13 में जिसका वर्णन है। ‘यस्मान्न जातः’ यजुर्वेद 8.36 में जिसका गुणगान है। ‘मा मा हिंसीत्’ यजुर्वेद 12.102 में जिसका चित्रण है।

वह प्रभु बहुत महान् है। वह संसार के सभी चमकीले पदार्थों को अपने गर्भ में धारण कर रहा है। संसार में उस जैसा कोई न आज तक उत्पन्न हुआ है और न भविष्य में होगा।

विपत्ति और कष्टों में मनुष्य उसी परमात्मा को पुकारते हैं। ऐसे गुणागार, कृपासिन्धु, महान् एवं व्यापक परमात्मा का कोई आकार नहीं है। निराकार होने के कारण परमात्मा की कोई मूर्ति नहीं हो सकती। अतः मूर्तिपूजा अवैदिक है। भागवत 10.84.13 में मूर्तिपूजक को ‘गोखर’ गौओं का चारा ढोनेवाला गधा कहा गया है। - स्वामी जगदीश्‍वरानन्द सरस्वती

That Lord is Great | Yajurveda | Stunning Substances | Prayer | Size or image | Calamity and Distress | Multiplication | Compassionate | Great | Broad Sovereign | Unpaid | Vedic Motivational Speech in Hindi by Vaidik Motivational Speaker Acharya Dr. Sanjay Dev for Fatehganj Gadchiroli - Salarpur Khadar - Sagar | News Portal - Divyayug News Paper, Current Articles & Magazine Gadhinglaj - Salem - Satna | दिव्ययुग | दिव्य युग