विशेष :

गुण पूजा

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गाय स्वामी की आयु से बहुत छोटी होती है किन्तु जब हिन्दू स्वामी उसे सम्बोधन करता है तो माता के नाम से और आदर-प्यार से बोलता है तथा घोड़े को चाहे वह कितना ही शक्तिशाली और मूल्यवान हो, उसे पुत्र नाम से सम्बोधित करता है। किन्तु ऊंट जो कद में बड़ा है उसे किसी नाम से आदर नहीं दिया जाता। न ही गधे का चाहे वह बहुत परिश्रम करके स्वामी के लिए भार उठाता है।

कारण? गाय तो दूध से सात्विक बुद्धि-मति बनाती है इसलिए माता कही जाती है और घोड़ा कठिनाई के समय निकालकर मंजिल पर पहुंचाता है। मुसीबत और दुःख से तारता है। यही पुत्र का धर्म है। इसलिए पुत्र कहलाता है। दूसरे पशु यद्यपि उपकारी हैं, किन्तु इन जैसा उपकार उनका नहीं। - महात्मा प्रभुआश्रित जी महाराज (दिव्ययुग- फरवरी 2013)