आदत बनाएँ- सुबह बिस्तर से उठने के बाद पालथी मारकर बैठें और 1-3 गिलास गुनगुना या ठण्डा पानी पिएं। दो-दो घण्टे के अन्तराल पर दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिएं।
महत्वपूर्ण कारकः लम्बी सांस लें और कमर सदैव सीधी रखें। दिन में दो बार मल त्याग की आदत डालें। दिन में दो बार ठण्डे या गुनगुने पानी से स्नान करें। दिन में दो बार सुबह और शाम प्रार्थना एवं ध्यान करेंं।
विश्रामः भोजन करने के बाद मूत्र त्याग करें और 5 से 15 मिनट तक वज्रासन की मुद्रा में बैठें। सख्त या मध्यम स्तर के बिस्तर पर सोएं और पतला तकिया लगाएं। सोते समय अपनी चिन्ताओं को भूल जाएं और अपने शरीर को ढीला छोड़ दें। पीठ के बल या दाहिनी और करवट लेकर सोने की आदत डालें। भोजन और सोने के बीच दो घण्टे का अन्तर रखें।
व्यायाम- प्रतिदिन सुबह आधा घण्टे तक तेज सैर या जॉगिंग करेंअथवा आसन-प्राणायाम/सूर्यनमस्कार करें अथवा बागवानी करें या कोई खेल खेलें अथवा तैराकी करें।
भोजन- भोजन अच्छी तरह चबाकर धीरे-धीरे और शान्तिपूर्वक करें। अपनी भूख के मुताबिक भोजन करें, लेकिन अपना तीन- चौथाई पेट ही भरें। दिन में 7 घण्टे के अन्तर से केवल दो बार ही भोजन करें। सुबह नाश्ते में अंकुरित अन्न अथवा रात भर भिगोए हुए मेवे प्रयोग में लें।
भोजन का एक भाग अनाज एवं एक भाग सब्जियों का रखें। पके हुए एवं कच्चे भोजन को साथ न मिलाएं। असंतृप्त वसायुक्त शुद्ध तेलों का ही प्रयोग करें और वह भी अल्प मात्रा में।
कच्चे भोजन में अंकुरित अन्न, ताजी और पत्तेदार सब्जियाँ, मौसम के फल, सलाद, रस, चटनी, नींबू, शहद का उपयोग करें। पके हुए भोजन में चोकर समेत आटा, बिना पॉलिश किया चावल और दलिए का इस्तेमाल करें। उबले हुए भोजन का इस्तेमाल करें। उबले हुए भोजन और सूप को प्राथमिकता दें। भोजन करने के बाद 15-20 मिनट तक टहलें।
कम करें- नमक, मिठाइयाँ, मसाले, मिर्च, आइस्क्रीम, पकाया हुआ भोजन, आलू और गिरीदार चीजें कम मात्रा में लें।
ऊँची एडी के जूते, कठिन व्यायाम और टी.वी. एवं फिल्मों से बचें। धूम्रपान, मदिरा, नशीली दवाएँ, सॉफ्टड्रिंक्स, तम्बाकू, जर्दा, चाय, कॉफी एवं बुरे व्यसनों से बचें।
अभ्यास करें- दिन में एक बार नमक मिले गुनगुने पानी से गरारे कीजिए। अपनी आँखोें को स्वस्थ व इनकी चमक बनाए रखने के लिए प्रतिदिन सुबह व शाम इन्हें त्रिफला के पानी से धो लीजिए।
सप्ताह में एक बार वमन, धौति (कुंजल/वमन) कीजिए। कब्ज होने पर एनिमा लीजिए। सप्ताह में एक बार मालिश और धूप स्नान लीजिए।
प्रतिदिन तालू की हल्की मालिश कीजिए।
प्रतिदिन दो बार माथे व आँखों पर पानी छींटिए और मुँह में पानी भरकर रखते हुए थूक दीजिए।
प्रतिदिन थोड़ी देर तक हँसिए और गाना गाइए।
सावधानी बरतें- काटने से पहले सब्जियों व फलों को अच्छी तरह धोइए। क्योंकि इन पर कीटनाशक और अन्य दूषित तत्व लगे होते हैं। जहाँ तक संभव हो सके, फलों व सब्जियों को छिलके समेत खाइए। टी.वी. देखते समय समुचित दूरी पर बैठिए। - रामचन्द्र वैष्णव
वैधानिक सलाह / परामर्श - इन प्रयोगों के द्वारा उपचार करने से पूर्व योग्य चिकित्सक से सलाह / परामर्श अवश्य ले लें। सम्बन्धित लेखकों द्वारा भेजी गई नुस्खों / घरेलु प्रयोगों / आयुर्वेदिक उपचार विषयक जानकारी को यहाँ यथावत प्रकाशित कर दिया जाता है। इस विषयक दिव्ययुग डॉट कॉम के प्रबन्धक / सम्पादक की कोई जवाबदारी नहीं होगी।
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